कोलकाता। आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व और विवादास्पद प्रिंसिपल संदीप घोष के विश्वासपात्र माने जाने वाले करीबी करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितताओं के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के जांच के दायरे में हैं।
इनमें आर.जी. कर का हाउस स्टाफ आशीष पांडे भी शामिल है, जो वित्तीय अनियमितताओं के मामले में कथित संलिप्तता के कारण पहले से ही न्यायिक हिरासत में है।
पांडे के अलावा, आर.जी. कार के दो अन्य डॉक्टरों की शैक्षणिक योग्यता भी जांच के दायरे में है, क्योंकि दोनों को सामान्य प्रक्रियाओं से गुजरे बिना रेजिडेंट डॉक्टर बनने का मौका कैसे मिल गया।
हालांकि, जांच के लिए सीबीआई अधिकारी इन दोनों जूनियर डॉक्टरों की पहचान उजागर करने को तैयार नहीं है। घटनाक्रम से अवगत सूत्रों ने बताया कि सीबीआई अधिकारियों ने कुछ अन्य जूनियर डॉक्टरों के साथ-साथ आर.जी. कर के संकाय के कुछ सदस्यों से पूछताछ के बाद पाया है कि पांडे सहित इन तीन जूनियर डॉक्टरों को संदीप घोष के संरक्षण में कुछ अनुचित सुविधाएं मिल रही थीं।
आर.जी. कर में कई लोगों से जांच अधिकारियों द्वारा गवाह के रूप में पूछताछ की गई थी, जिन्होंने खुलासा किया था कि इन तीनों आरोपी जूनियर डॉक्टरों ने बायोमेट्रिक प्रणाली के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करने या मरीजों को देखने के मानदंडों का पालन करने की परवाह नहीं की, जो जूनियर डॉक्टरों के लिए अनिवार्य है।
संयोग से बुधवार शाम को ही पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग द्वारा दो डॉक्टरों बिरुपाक्ष विश्वास और अविक दे के खिलाफ गठित जांच समिति ने रिपोर्ट सौंपी। इन पर विभिन्न सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में ‘धमकी संस्कृति’ चलाने का आरोप था।
सूत्रों ने बताया कि जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में दे और बिस्वास के खिलाफ कई आरोपों की प्रामाणिकता स्वीकार कर ली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकार अब बिस्वास और दे के खिलाफ उचित कार्रवाई करेगी।
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