लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले के सिकन्द्राराऊ क़स्बे के पास सत्संग कार्यक्रम में हुई भगदड़ में मरने वालों की संख्या बढ़ कर 121 हो गई है। कई लोग अब भी लापता हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई ने प्रशासन के हवाले से 121 मृतकों की लिस्ट जारी की है।
मरने वालों में बड़ी तादाद में महिलाएँ हैं, जो नारायण साकार के सत्संग में आई थीं। आयोजन स्थल अलीगढ़ से एटा को जोड़ने वाले नेशनल हाइवे 34 पर सिकन्द्राराऊ क़स्बे से क़रीब चार किलोमीटर दूर फुलराई गांव में था।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने बुधवार को हाथरस में हुई भगदड़ के मामले में एफ़आईआर दर्ज की है। ये केस सत्संग के आयोजकों के खिलाफ़ दर्ज किया गया है। सत्संग जिस नारायण साकार उर्फ़ भोले बाबा का था, उनका नाम एफ़आईआर में नहीं है। एफ़आईआर में मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर और अन्य आयोजकों को नामज़द किया गया।
एफ़आईआर भारतीय न्याय संहिता की धारा105 (ग़ैर इरादतन हत्या), 110 (ग़ैर इरादतन हत्या की कोशिश), 126 (2) (ग़लत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा दिए गए आदेश की अवज्ञा), 238 (साक्ष्य मिटाना) के तहत दर्ज की गई है।
चश्मदीदों और भक्तों के मुताबिक़, सत्संग समाप्त होने के बाद यहां आए श्रद्धालुओं में बाबा के चरणों की धूल इकट्ठा करने की होड़ मच गई और यही भगदड़ का कारण रही।
नारायण साकार उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व कर्मचारी रहे हैं और उनका नाम सूरज पाल हैं, उन्होंने 18 सालों तक स्थानीय खुफिया इकाई के साथ काम किया और 1990 में,जब वे एटा में तैनात थे तो स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी और नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा बन कर काम करना शुरू किया।
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