खड़गपुर : पश्चिम मेदिनीपुर जिले के खड़गपुर शहर अंतर्गत गाटरपाड़ा स्थित मुंशी प्रेमचंद वाचनालय सह पुस्तकालय में बुधवार को हिंदी के महान लेखक उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 144वीं जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। इस मौके पर उपस्थित अतिथियों व विशिष्ट साहित्यकारों ने मुंशी प्रेमचंद की तस्वीर पर माल्यदान करते हुए उनके योगदान को याद किया।
समारोह में अवकाश प्राप्त रेलकर्मी सह साहित्यप्रेमी चंद्रशेखर तिवारी, माकपा नेता अनिल दास, जयराम शर्मा केदार आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। वक्ताओं ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी से लगभग चार मील दूर लमही नामक गांव में हुआ था। उनका वास्तविक नाम धनपत राय था।
गरीबी से तड़ते हुए धनपत राय ने मैट्रिक के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से द्वितीय श्रेणी में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। वे हिंदी-उर्दू के सबसे अधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार, और विचारक थे। उनका पहला उपन्यास सेवा सदन था जो 1918 में लिखा गया।
अपने संवदेनशील लेखन से प्रेमचंद ने एक ओर जहां अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आम लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया वहीं समाज को सही दिशा दिखाने का प्रयास भी किया। यही कारण है कि उनकी रचनाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं।
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