ट्रंप की जीत का आगाज- इन देशों में मचा हड़कंप- नए साल में कई बदलाव दिखने की संभावना

डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश में हिंदुओं, ईसाइयों सहित अल्पसंख्यकों पर बर्बर हिंसा लूट की सख्त निंदा की थी
ट्रंप की जीत से दुनिया में, खासकर एशिया में भारत का दबदबा बढ़ेगा, स्थिति मजबूत होगी- अधिवक्ता के.एस. भावनानी

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर पूरी दुनिया की नजरें 6 नवंबर पर लगी हुई थी कि 538 इलेक्टोरल सीटों में से ट्रंप या हैरिस किसकी जीत होगी क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उससे ही दुनिया की दशा और दिशा तय होगी। हालांकि कांटे की टक्कर थी, परंतु ट्रंप को 50 राज्यों की 538 सीटों में से 295 व कमला हैरिस को 226 सीटें मिली जबकि बहुमत के लिए 270 सीटें है। हालांकि अमेरिका का राष्ट्रपति कौन होगा उससे करीब-करीब हर देश को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से फर्क पड़ता है। अमेरिका के आंतरिक मामलों, नीतियों में तो फर्क पड़ता ही है, परंतु विशेष रूप से पूरी दुनिया के देशों पर भी फर्क पड़ता है अब जबकि ट्रंप आ गए हैं, तो स्वाभाविक रूप से भारत पर बहुत ही सकारात्मक रूप से अच्छा प्रभाव पड़ेगा। क्योंकि विशेष रूप से अमेरिका और भारत की विचारधारा मिलती-जुलती है, जिसका सटीक उदाहरण ट्रंप ने दीपावली के समय अपने बयान में बांग्लादेश में हिंदुओं, ईसाइयों सहित अल्पसंख्यकों पर हो रही बर्बर हिंसा लूट की सख्त निंदा की थी, व कहा था कि उसके शासन आने पर इस पर नियंत्रण होगा।

जबकि हैरिस व बाइडेन ने इस मुद्दे पर चुप्पी साधे थी, इस पर कोई बयान नहीं आया था। जिसका इशारा दोनों की चुप्पी पर ट्रंप ने भी तंज कसा था। चुकी ट्रंप जीत गए हैं, अब बांग्लादेश में हड़कंप मचा हुआ है, वहीं केयर टेकर मोहम्मद यूनुस ट्रंप के विरोधी माने जाते हैं। अब पड़ोसी मुल्क पाक और विस्तारवादी देश चीन पर भी लगाम कसी जा सकती है, क्योंकि भारतीय पीएम अमेरिकी राष्ट्रपति की दोस्ती हद्दे पार है, इसीलिए ही भारत के पड़ोसी बहुत परेशान हो रहे हैं। क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश में हिंदुओं, ईसाइयों सहित अल्पसंख्यकों की बर्बर हिंसा लूट की सख्त निंदा की थी। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, ट्रंप की जीत का आगाज, इन देशों में मचा हड़कंप, नए साल में कई बदलाव दिखने की संभावना।

साथियों बात अगर हम ट्रंप की जीत से भारत के पड़ोसियों में हड़कंप मचने की करें तो दरअसल, ट्रंप की जीत से हमारे पड़ोसी देश परेशान हैं, यानि जो हमें परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ते, उनकी हालत ट्रंप के आने से खराब होनी तय है। पहला पड़ोसी पाकिस्तान है, आतंक से उसकी पक्की दोस्ती हैं, वर्तमान राष्ट्रपति उस पर मेहरबान थे। अमेरिका सख्ती कम कर रहा था, लेकिन ट्रंप के साथ ऐसा नहीं है, क्योंकि साल 2016 में जब ट्रंप राष्ट्रपति बने थे तो उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवाद पर खूब लताड़ा था। उसे अमेरिका से मिलने वाली सहायता भी रोक दी थी। पाकिस्तान की माली हालत किसी से छिपी नहीं है, तो उसके लिए जेब खाली में आटा गीला वाली हालत है।अब बात हमारे सबसे बड़े पड़ोसी चीन की एलएसी पर 5 साल तक वो हमें आंख दिखाता रहा। लेकिन जो बाइडेन के मुंह से एक बार भी उसके लिए कुछ नहीं निकला, जिस चीन ने सारे समझौते तोड़कर भारत से रिश्ते खराब किए, उसे लेकर जो बाइडेन चुप रहे। एक तरह से उसे मनमानी करने का मौका दिया।

लेकिन ट्रंप के साथ ऐसा नहीं है, वो टैरिफ लगाकर चीन को आर्थिक चोट पहुंचाने की सौगंध खाकर राष्ट्रपति बने हैं। 2016 में भी उन्होंने चीन के साथ ट्रेड वॉर छेड़ी थी। चीन के होश ठिकाने लगा दिए थे। हालांकि अमेरिका को भी नुकसान हुआ लेकिन ट्रंप टस से मस नहीं हुए और इस बार भी ऐसा होगा। अब अगर चीन ने कुछ ऐसा वैसा किया तो ट्रंप भारत का खुलकर मजबूती के साथ साथ दे सकते हैं।हमारा तीसरा पड़ोसी बांग्लादेश है, जिसकी सेना शेख हसीना का तख्तापलट कर चुकी है, इसके पीछे अमेरिका बताया जा रहा है। अमेरिका के दम पर ही बांग्लादेश भारत को पिछले कुछ दिनों से आंख दिखा रहा था लेकिन ट्रंप बांग्लादेश के होश ठिकाने लगाएंगे। वो पहले ही बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ कार्रवाई करने का वादा कर चुके हैं।

साथियों बात अगर हम बांग्लादेश में हिंदू, ईसाइयों सहित अल्पसंख्यकों पर हो रहे बर्बर हिंसा लूट पर ट्रंप की सख्त टिप्पणी की करें तो, बता दें कि 5 अगस्त को बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना देश छोड़कर भारत आ गईं थी। इससे उनका 15 साल का शासन खत्म हो गया था। उनकी सरकार के खिलाफ छात्रों का विरोध प्रदर्शन काफी बढ़ गया था। इसके बाद से देश में अल्पसंख्यक हिंदुओं को हिंसा का सामना करना पड़ा था। इतना ही नहीं उनके मंदिरों और दुकानों में भी तोड़फोड़ की गई।दरअसल, बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू डरे हुए हैं और ये डर इसलिए है क्योंकि बांग्लादेश में अंतरिम सरकार में खुद को ताकतवर महसूस कर रहे मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश में हिंदुओं, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों पर बर्बर हिंसा और लूट की सख्त निंदा की है, साथ ही कहा है कि कमला हैरिस और जो बाइडेन ने पूरी दुनिया और अमेरिका में हिंदुओं को नजर अंदाज किया है जो कि ट्रंप कभी नहीं करेंगे। वे अमेरिकन हिंदुओं समेत पूरे विश्व में हिंदुओं की रक्षा करेंगे।

ट्रंप के इस बयान को लेकर इस्कॉन ने भी तारीफ की है और धन्यवाद दिया है। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, मेरे प्रशासन के तहत, हम भारत और मेरे अच्छे मित्र पीएम मोदी के साथ अपनी महान साझेदारी को भी मजबूत करेंगे। साथ ही, सभी को दिवाली की शुभकामनाएं। मुझे उम्मीद है कि रोशनी का यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत की ओर ले जाएगा। दिवाली की शुभकामनाएं देते हुए भी डोनाल्ड ट्रंप ने डेमोक्रेटिक पार्टी की अपनी प्रतिद्वंद्वी कमला हैरिस और वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन पर अमेरिका और दुनिया भर के हिंदुओं की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने पहली बार बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार का जिक्र किया और भारतीय पीएम को अपना अच्छा मित्र बताया। ट्रंप ने कहा कि बांग्लादेश पूरी तरह से अराजकता की स्थिति में है। ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में ट्रंप ने कहा, मैं हिंदुओं, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ बर्बर हिंसा की कड़ी निंदा करता हूं, जिन पर बांग्लादेश में भीड़ द्वारा हमला किया गया और लूटपाट की जा रही है। बांग्लादेश में पूरी तरह से अराजकता की स्थिति है।

साथियों बात अगर हम बांग्लादेश के कार्यवाहक केयर टेकर के ट्रंप विरोधी होने की करें तो, डोनाल्ड ट्रंप को मोहम्मद यूनुस का विरोधी माना जाता है। वह घोषित तौर पर डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक हैं। कई राष्ट्रपति चुनावों के दौरान उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए कैंपेन किया है और चुनावी चंदे भी दिए हैं। कहा तो यहां तक जाता है कि उनकी इसी काम के पारितोषिक के रूप में ओबामा प्रशासन ने उन्हें अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिलवाने के लिए लॉबिंग की थी। इसके अलावा हाल में बांग्लादेश में हुए विद्रोह के दौरान भी अमेरिका ने ही मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुखिया नियुक्त करवाया था। इसकी पुष्टि मोहम्मद यूनुस के अमेरिका दौरे पर भी हुई थी। खुद यूनुस ने स्वीकार किया था कि बांग्लादेश में हुआ विद्रोह पूरी तरह वहां पर प्लान किया गया था। जब 2016 में ट्रंप नए-नए अमेरिकी राष्ट्रपति बने थे, तब एक बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल वॉशिंगटन डीसी में उनसे मुलाकात करने पहुंचा था। इस डेलीगेशन में कुछ डेप्लोमेट, प्रमुख बांग्लादेशी नागरिक और कुछ सरकारी अधिकारी शामिल थे।

जब प्रतिनिधिमंडल ने ट्रंप से मुलाकात की, तब उन्होंने एक ऐसा सवाल पूछा, जिससे सब लोग हैरान रह गए। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल के साथ ऑफिशियल इंट्रोडक्शन से पहले ही यूनुस को लेकर पूछा कि वो ढाका का माइक्रो फाइनेंसर कहां है? डोनाल्ड ट्रंप ने आगे कहा था, मैंने सुना है कि उन्होंने मुझे इलेक्शन में हारते देखने के लिए डोनेशन दिया था। यूनुस उस दौरान ढाका में स्थित ग्रामीण बैंक के हेड हुआ करते थे। ये बांग्लादेश का माइक्रो-फाइनेंस स्पेशलाइज्ड कम्युनिटी डेवलपमेंट बैंक है। माइक्रो फाइनेंसिंग में अच्छा काम करने के लिए यूनुस को 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बांग्लादेशी डेलीगेशन में शामिल एक अधिकारी ने उस दौरान एक इंटरव्यू में कहा था कि ट्रंप, यूनुस और उनकी संस्थाओं पर भड़के हुए थे।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि ट्रंप की जीत का आगाज- इन देशों में मचा हड़कंप- नए साल में कई बदलाव दिखने की संभावना। डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश में हिंदुओं, ईसाइयों सहित अल्पसंख्यकों पर बर्बर हिंसा लूट की सख़्ती निंदा की थी। ट्रंप की जीत से दुनिया में, खासकर एशिया में भारत का दबदबा बढ़ेगा, स्थिति मजबूत होगी।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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