दुर्गा पूजा पंडाल के पास माकपा के बुक स्टॉल में पोस्टर को लेकर तनाव

कोलकाता। दक्षिण कोलकाता में व्यस्त रासबिहारी एवेन्यू क्रॉसिंग पर एक लोकप्रिय दुर्गा पूजा पंडाल के पास सोमवार को माकपा के एक अस्थायी बुक स्टॉल पर तनाव फैल गया क्योंकि बुक स्टॉल पर लगे पोस्टर पर माकपा और तृणमूल कांग्रेस के समर्थक आपस में झगड़ रहे थे और विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। भारतीय मार्क्‍सवादी, जो हमेशा दुर्गा पूजा में भाग लेने से दूर रहते थे, आमतौर पर त्योहार के दिनों में अपने जनसंपर्क अभ्यास के एक हिस्से के रूप में मार्क्‍सवादी साहित्य को बेचने के लिए बुक स्टॉल लगाते हैं।

इसी के अनुरूप उस क्षेत्र में पार्टी की स्थानीय समिति इस वर्ष भी रासबिहारी एवेन्यू क्रॉसिंग पर पूजा पंडाल के पास वह पुस्तक स्टाल लगा रही थी। पश्चिम बंगाल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्‍सवादी (सीपीआई-एम) राज्य समिति द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, रविवार देर शाम को एक मामूली तनाव पैदा हो गया, जब स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के एक समूह ने स्टाल में एक पोस्टर पर आपत्ति जताई।

जाहिर तौर पर करोड़ों रुपये के पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूएसएससी) घोटाले में कथित रूप से शामिल सत्तारूढ़ दल के नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। माकपा नेतृत्व ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने उस समय कुछ किताबों के कवर भी खराब कर दिए थे। राज्य सचिवालय सदस्य कल्लोल मजूमदार, पार्टी के राज्यसभा सदस्य बिकाश रंजन भट्टाचार्य और लोकप्रिय फिल्म निर्देशक और पार्टी के हमदर्द कमलेश्वर भट्टाचार्य जैसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में माकपा कार्यकर्ताओं ने घटना के खिलाफ शाम को एक विरोध रैली की।

कुछ ही देर में तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए और दोनों गुटों में कहासुनी हो गई। मामूली हाथापाई भी हुई। बाद में पुलिस ने पार्टी नेताओं सहित आंदोलन कर रहे माकपा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। बंगाल में माकपा के राज्य सचिव और पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य मोहम्मद सलीम जल्द ही मौके पर पहुंच गए। उनके हस्तक्षेप के बाद, स्टाल पर मार्क्‍सवादी साहित्य की बिक्री फिर से शुरू हुई।

मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।गिरफ्तार होने से पहले, माकपा के राज्य सचिवालय के सदस्य कल्लोल मजूमदार ने मीडियाकर्मियों से कहा कि पोस्टर में केवल चोरों को पकड़ो और जेलों को भरो लिखा है। उन्होंने सवाल किया, कहीं नहीं, पोस्टर में तृणमूल कांग्रेस को चोरों से जोड़ा गया है। फिर सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ता इतने उत्साहित क्यों हो गए? क्या उनकी ओर से प्रतिक्रिया अपराध चेतना का सूक्ष्म प्रतिबिंब नहीं है?

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