कोलकाता। 2 नवम्बर को भोजपुरी भाषा के लिए ऐतिहासिक दिन होगा. भारत से सात समुद्र पार छोटा भारत कहे जाने वाले देश, मॉरिशस के सरकारी टीवी चैनेल एम् बी सी ( मॉरीशस ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन ) टीवी पर आज से भोजपुरी में समाचार प्रसारण की शुरुआत होगी. मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने एक कार्यक्रम में इसकी घोषणा करते हुए कहा कि यह मॉरिशस के लोगों को दिवाली की सौगात दी है. उन्होंने कहा कि यह हमारे पूर्वजों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी, जिन्होंने गिरमिटिया मजदुर के तौर पर अंग्रेजों के जुल्मों – सितम को सहकर मॉरिशस को सोना बनाया और सनातन एवं भारतीय सभ्यता – संस्कृति को बचा कर रखा. यह उनलोगों को समर्पित है. गौरतलब है की भोजपुरी में समाचार प्रसारण की मांग लम्बे समय से मॉरिशस में की जा रही थी.
आज मॉरिशस में भारतीय गिरमिटिया आगमन की १८७ वीं सालगिरह भी है. आज ही के दिन २ नवम्बर १८३४ में पहली बार भारतीय लोग गिरमिटिया मजदुर के तौर पर मॉरिशस पहुंचे थे. बिहार राज्य से गिरमिटियों का पहला खेप पोर्ट लुईस के बंदरगाह में उतारा गया था. वह दीवाली का ही दिन था, पर यहां दीप नहीं जले थे. वे यहाँ स्वयं दीया बनकर आए थे. आज उन के त्याग के चिराग जलने का ही फल है जो आज मॉरिशस सफल और विकसित देश है. २ नवम्बर आम छुट्टी का दिन है और यह पहले से ही राष्ट्रीय उत्सव घोषित हो चुका है.
सरकार के इस फैसले पर ख़ुशी जाहिर करते हुए मॉरिशस में हिंदी के बड़े साहित्कार जिन्होंने कई पत्र- पत्रिकायों का संपादन भी किया है. राज हिरामन ने कहा कि इस दिन का इंतजार पुरे जीवन भर था और आज यह पूरा हो रहा है. इस ख़ुशी को व्यक्त करने के लिए कोई शब्द नहीं है, सिर्फ इतना ही कहूंगा माई भाषा भोजपुरी में टीवी पर समाचार देखना बेहद ख़ुशी और सुकून देने वाला पल होगा. उन्होंने कहा कि लग-भग २०० वर्षों की दास प्रथा की दारुण गाथा मॉरिशस का हिन्दू युवा पीढ़ी हमेशा याद रखना चाहती है, जिससे इस को संबल मिलता है.
राज हिरामन ने गिरमिटिया इतिहास पर बात करते हुए कहा कि बाद के खेपों में १९२० तक उत्तर प्रदेश से भी लोग आए। सब ने मिलकर दो महा उपनिवेशी शक्ति- मालिकों (अंग्रेज और फ्रेंच) का सामना किया और १२ मार्च १९६८ को देश को आज़ाद कराया तथा व्यवस्था संभाली।
राज ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि १९६८ से अब तक न हिन्दुओं के हाथ से ना सत्ता ढीली हुई और ना ही विकास रुका. हमारे देवतुल्य महान पूर्वजों की संस्कृति और भाषा ही हमारी स्वतंत्रता, शक्ति तथा एकता का प्रेरक श्रोत रहीं.
कई सालों से भारत में गिरमिटिया पर काम कर रहे गिरमिटिया फाउंडेशन के अध्यक्ष दिलीप गिरी ने कहा कि यह सिर्फ मॉरिशस के लोगों का ही सपना पूरा नहीं हुआ बल्कि दुनियां भर के लगभग बीस करोड़ भोजपुरी बोलने वालों के लिए भी गर्व कि बात है. गौरतलब है कि पत्रकार और गिरमिटिया फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष दिलीप गिरी कई सालों से गिरमिटिया परिवारों को भारत में उनकों पूर्वजों के गावं तक पहुचाने का काम कर रहे है. साथ ही गिरमिटिया एक करुण कथा नमक लघु फिल्म भी बनाई है. उन्होंने कहा कि गिरमिटिया फाउंडेशन का स्थापना ही भोजपुरी के विस्तार के साथ ही भारत और गिरमिटिया देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए हुई है, आज हमारे प्रयास को एक बड़ी सफलता एम् बी सी टीवी पर भोजपुरी में समाचार प्रसारण के रूप में मिली है.
गौरतलब है कि १९७५ से २०१८ तक मॉरिशस ने तीन विश्व हिन्दी सम्मेलन आयोजित किए. विश्व हिन्दी-प्रचार का केन्द्र ‘विश्व हिन्दी सचिवालय भी यहीं स्थापित कराया. १९६८ से ही सरकारी प्राथमिक तथा माध्यमिक स्कूलों में सरकारी तंत्र में हिन्दी पठन-पाठन ने जोर पकड़ा. कुछ दशकों से मॉरिशस में शिक्षा निःशुल्क है. अर्थात् बच्चा ५ वर्ष से विश्व विद्यालयीय स्तर तक हिन्दी का अध्ययन मुफ्त में कर सकता है, क्यों कि हिन्दी में मॉरिशस विश्व विद्यालय तक डि लिट का प्रावधान है.
भोजपुरी यहाँ की बोली है ही पर आदत्तन अपना बिहारीपन नहीं छोड़ा. शिक्षा-तंत्र, गीत-संगीत, रेडियो-टी वी, मंच-नाटक और विश्व विद्यालय में भी अपनी जगह बनाने में सक्षम हो गई है। स्कूल के हर स्तर पर भोजपुरी में लिखा-पढ़ी हो रही है. स्थानीय लेखक भोजपुरी पाठ्यक्रम भी लिख रहे हैं.
मॉरिशस में १९६४ से टेलीविज़न की शुरुआत से ही हिन्दी फिल्में, हिन्दी में स्थानीय कार्यक्रम और हिन्दी समाचार प्रसारित होते आए थे. भोजपुरी में यहाँ पहले से ही रेडियो – टी वी में कार्यक्रम होता रहा है. टेलीविज़न में यहाँ भोजपुरी का विशेष चैनेल भी पहले से स्थापित है और आज से आरंभ होगा भोजपुरी समाचार बुलेटिन… ( आवअ भोजपुरी में समाचार सुनअ )