कोलकाता। बर्धमान रेलवे स्टेशन पर बुधवार को वॉटर टैंकर टूटकर गिरने की वजह से हुई तीन लोगों की मौत और 30 लोगों के घायल होने की घटना के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। मामले में रेलवे स्टेशनों पर मौजूद इंफ्रास्ट्रक्चर की देखरेख में बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। दावा है कि खराब मटेरियल से इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण और रखरखाव की कमी की वजह से ऐसी दुर्घटनाएं हो रही हैं।
इसकी एक और वजह यह भी है कि ऐसी घटनाओं में कठोर दंड का प्रावधान नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि ऐसी दुर्घटना पहली बार हुई है। कुछ महीने पहले बांकुड़ा जिले के निकुंजपुर पंचायत के चुरामणिपुर गांव में एक पानी की टंकी ढह गई। इसे सबमर्सिबल के माध्यम से वैकल्पिक पेयजल की समस्या को हल करने के लिए पाइप से पानी पहुंचाने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
घटना के वक्त चुरामणिपुर गांव निवासी गोपाल चट्टोपाध्याय टंकी के ठीक बगल में खड़े थे जो दुर्घटना में मारे गए। करीब सात फीट ऊंचे पक्के निर्माण पर एक हजार लीटर का ओवरहेड टैंक दस दिन पहले बनकर तैयार हुआ था। ग्रामीणों की शिकायत थी कि महज पांच मिमी रॉड की मदद से टंकी बनाई गई थी।
लाइसेंस प्राप्त भ्रष्ट सरकार हैं
ओंडा विधानसभा से भाजपा विधायक अमरनाथ शाखा ने कहा, ””यह सरकार एक लाइसेंस प्राप्त भ्रष्ट सरकार है। वे पंचायतों में केंद्र सरकार की सभी योजनाओं में भ्रष्टाचार करते हैं। इस कृत्य में शामिल लोगों को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए और जेल भेजा जाना चाहिए।”
20 जून 2021 की रात ईसीएल की ओवरहेड पानी टंकी गिर गयी। घटना से टंकी से सटे जल शोधन संयंत्र का खंभा भी क्षतिग्रस्त हो गया। इसकी वजह से अंडाल के कजोरा के परशकोल कोलियरी क्षेत्र में करीब 400 परिवारों को जल संकट का सामना करना पड़ा।टैंक की क्षमता 2 लाख 22 हजार गैलन पानी की थी। स्थानीय लोगों का दावा है कि इस पानी टंकी का रखरखाव नहीं किया गया था।
टंकी परिसर में नहीं था सुरक्षा गार्ड
इतना ही नहीं, टंकी परिसर में कोई सुरक्षा गार्ड भी नहीं था। हालांकि, टैंक के पास जल उपचार संयंत्र में एक कर्मचारी शिफ्टिंग ड्यूटी पर काम करता है, लेकिन रात में वहां कोई नहीं रहता है। दुर्घटना के बाद, ईसीएल के एक अधिकारी संजय भौमिक ने स्वीकार किया, क्योंकि घटना रात में हुई थी, इसलिए जानमाल की हानि नहीं हुई। अगर ये दिन में होता तो कई लोग मारे जाते क्योंकि इलाके के कई लोग सुबह इस टंकी के नीचे से यात्रा करते हैं।”
25 जून 2022 को नादिया के गंगनापुर में सजलधारा परियोजना का एक टैंक ढह गया। उद्घाटन से पहले पांच हजार लीटर पानी की क्षमता वाले टैंकर की जांच में पता चला कि टैंकर को घटिया उपकरणों के साथ और उचित सावधानियों के बिना बनाया गया था। इसको लेकर क्षेत्रवासियों ने ग्राम प्रधान के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
हावड़ा में हुई थी ऐसी ही घटना
27 दिसंबर 2022 को हावड़ा में एक पानी की टंकी ढह गई। पुलिस और स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, जगाछा थाने के अरूपारा इलाके में हुई इस घटना में 14 मजदूर घायल हो गए। कई लोगों को गंभीर हालत में हावड़ा अस्पताल भेजा गया। 22 जनवरी, 2020 को बांकुरा के सारेंगा में 700 क्यूबिक मीटर की जल भंडारण क्षमता वाला एक ओवरहेड टैंकर ढह गया। यह ढांचा सिर्फ तीन साल पहले 165 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था। इसकी वजह से 20 गांवों को पानी की कमी का सामना करना पड़ा।
क्या टैंक निर्माण और रखरखाव में पर्याप्त सावधानियां बरती जाती हैं?
इस सवाल के जवाब में कोलकाता नगर निगम के पूर्व महानिदेशक, प्रख्यात वास्तुकार दीपांकर सिंह ने हिन्दुस्थान समाचार से कहा, ””हम यहां केवल टैंकों के बारे में बात नहीं कर सकते। विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से बनाई गई संपत्ति, रखरखाव, लागत, परियोजना बहुत कुछ मायने रखता है। खास बात ये है कि जिन लोगों पर देखरेख, रखरखाव और मरम्मत की जिम्मेवारी होती है वे लापरवाह बने रहते हैं।
उन्होंने बताया कि नई परियोजनाओं पर अधिकारियों का ध्यान ज्यादा रहता है। उसमें अधिक खर्च होता है लेकिन जो परियोजनाएं पहले से लागू हो चुकी है या जो इंफ्रास्ट्रक्चर पहले से बने हुए हैं उनकी देखरेख पर किसी का ध्यान नहीं जाता। यही वजह है कि समय-समय पर ऐसी दुर्घटनाएं होती रहती हैं।
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