एक देशभक्ति गाना जिसे देने से पहले शायर-गीतकार कैफी आजमी ने एक अजीब शर्त रखी थी
श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’, खड़गपुर । आज मैं चेतन आनंद निर्देशित सन् 1964 में प्रदर्शित कालजयी फिल्म ‘हकीकत’ का गाना ‘कर चले हम फ़िदा जानोतन साथियों, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों…’ से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा पेश कर रहा हूं। फिल्म ‘हकीकत’ के गीतकार कैफी आजमी और संगीतकार मदनमोहन थे। फिल्म का आखिरी गाना ‘कर चले हम फ़िदा जानो तन साथियों’ जब कैफी आजमी ने लिखा तो उसे देने से पहले फिल्म के निर्माता-निर्देशक चेतन आनंद से कहा कि यह गाना फिल्म के आखिर में अर्थात फिल्म की कहानी समाप्त होने के बाद इस्तेमाल करोगे तो ही गाना दूंगा वरना गाने को भूल जाओ।
चेतन आनंद चिंता में पड़ गए। उनका मानना था कि फिल्म की कहानी की समाप्ति के बाद दर्शक हाल से बाहर निकल जाएंगे या निकलने की तैयारी में रहेंगे, ऐसे में गाना कौन सुनेगा। गाना बेकार हो जाएगा। पर शायर-गीतकार कैफ़ी आजमी को महान मोहम्मद रफ़ी की आवाज पर पूरा भरोसा था। अंत में जोखिम उठाकर चेतन आनंद ने वैसा ही किया जैसा कैफ़ी आजमी चाहते थे। गाने को फिल्म में सबसे आखिर में रखा।
फिर तो ठीक वहीं हुआ जैसा कैफ़ी आजमी ने सोच रखा था। मोहम्मद रफ़ी की आवाज की जादूगरी ने गाने को ऊंचे मुकाम पर पहुंचा दिया। दर्शक गाने के खत्म होने तक हॉल में जमे रहे। इस बात का सबूत खुद मैं हूं। मैंने यह फिल्म महाराष्ट्र के गोंदिया शहर के प्रभात टाकीज में देखी थी। सबको मालूम है कि दर्शकों ने इस देशभक्ति से सराबोर गाने को बेपनाह प्यार दिया। आज इस गाने को 58 वर्ष पूरे हो चुके हैं पर आज भी यह गाना सुनने वालों की रगों में जोश भर देता है। उनमें देशभक्ति का जज्बा पैदा कर देता है। हमारे दो राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त और 26 जनवरी में यह गीत सारे देश की फज़ाओं में न गूंजे, ऐसा हो ही नहीं सकता।