विनय सिंह बैस की कलम से…सच्चे मित्रों की अहमियत!!

तांबरम (चेन्नई) ट्रेनिंग सेंटर में हमारे एक ‘मित्र’ थे। नाम था—– खैर छोड़िए, शेक्सपियर कह