समाज में भीड़ तंत्र बनाकर राजनीतिक फायदा उठाने का प्रचलन बढ़ रहा है
कानूनी फैसला पारित करने की शक्ति केवल न्यायपालिका के पास होती है किसी भी घटना
वर्तमान में स्वार्थ की अंधी दौड़ में सुसंस्कृति, आचरण, दूरदर्शिता, परोपकारी मनोवृति जैसे अनेक गुणों के धनी व्यक्तित्वों को प्राथमिकता देना जरूरी
बाबूजी मैं शून्य जरूर हूं! पर जिस आंकड़े से जुड़ता हूं उसे 10 गुणा बढ़ा