भरत-चरित्र पावन भ्रात-पद
‘भरत चरित करि नेमु, तुलसी जो सादर सुनहिं। सीय राम पद पेमु, अवसि होई भव
भरत मिलाप मंदिर जहां भाइयों का प्रेम देख पिघल गए थे पत्थर, आज भी दिखते हैं श्रीराम के पैरों के निशान
वाराणसी। राम मंदिर के उद्घाटन की तैयारियां अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं। प्राण
आशा विनय सिंह बैस की कविता : सच में मेरे राम आने को हैं
।।सच में मेरे राम आने को हैं।। आशा विनय सिंह बैस शिशु तुतलाकर पहली बार
डीपी सिंह की रचनाएं
राम आएँगे, शबरी को विश्वास था राममय उसका हर श्वास-उच्छवास था आ गये, क्यों कि