सविता शाह की कविता

एक दिन बचपन की तरह, ये जवानी भी निकल जायेगी! और! हम उम्र के उस

सबिता शाह की कविता

सबिता शाह की कविता अच्छा होता है…. तन का काला होना। आपको नजर नहीं लगती।