प्रेम ज्योत से ज्योत मिलाय _

।।प्रेम ज्योत से ज्योत मिलाय।। प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” प्रेम ऐसे धँसता है जैसे धँसती

प्रेम के धरातल पर स्त्रीत्व एवं पुरुषत्व

।।प्रेम के धरातल पर स्त्रीत्व एवं पुरुषत्व।। प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम”, लखनऊ । प्रेमी का

संसार का अचरज – प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम”

।।संसार का अचरज।।  प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम”, लखनऊ । मेड़ पर कहीं से छिटक कर

ईश्वर, कवि और ये दुनिया

प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” । जैसे कोई आधा भरा हुआ पानी का लौटा खंगालता है,

कामदेव का विचित्र व्यापार : एक कथा संस्करण _

प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम”, लखनऊ : कामदेव का व्यापार विचित्र है। न जाने कब और