सप्रेम संस्थान द्वारा ऑनलाइन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन व मुशायरा सम्पन्न

प्रेम ही इंसान है ये, प्रेम ही भगवान है। प्रेम ही है धर्म मजहब, प्रेम