व्यंग्य: कुछ याद उन्हें भी कर लो।

श्रद्धासुमन पांच सौ और हज़ार के नोटों को ।। आपने किसी को फांसी की सज़ा

पहचानना बड़ा मुश्किल, डॉ. लोक सेतिया

पहचानना बड़ा मुश्किल (इंसाफ और ज़ुल्म) डॉ. लोक सेतिया ये बड़े लोग हैं बड़ी शान

मेरा लेखन पाठक के लिए : डॉ. लोक सेतिया

मेरा लेखन पाठक के लिए (बात सच की) डॉ. लोक सेतिया : सोचते हैं तो

आज़ादी किस ने दिलाई पर चर्चा करने वालों से सवाल – डॉ. लोक सेतिया

डॉ. लोक सेतिया : खेदजनक है जिनको देश समाज से पहले अपने स्वार्थ की चिंता

जवाहर लाल नेहरू को समझना, बाल दिवस पर विशेष…

डॉ. लोक सेतिया : जिन्होंने उनको देखा, सुना, पढ़ा और पहचाना कोई लाख कोशिश करे,

घर की दास्तान (हक़ीक़त) डॉ. लोक सेतिया

डॉ. लोक सेतिया : हुआ करते थे घर गलियां चौबारे और लोग रहते ही नहीं