डीपी सिंह की रचनाएं
कलयुगी रक्तबीज पुनः कलयुगी रक्तबीज ने काली को ललकारा है अपमान शक्ति का सुनकर आँखों
डीपी सिंह की रचनाएं
।।जय श्री राम।। जय राम का उद्घोष करती राम की सेना चली, सुग्रीव अङ्गद ऋक्षपति
डीपी सिंह की रचनाएं
तिथि पूछते थे नित्य नवल प्रासाद पे जो, हो गये समाप्त ये सवाल नये साल
डीपी सिंह की रचनाएं
प्रकटे समुद्र से जो, औषधीय ज्ञान ले के उनका स्मरण कर, उत्सव मनाइए शुद्ध खान-पान
डीपी सिंह की रचनाएं
गन्दी सियासत का दोषी कौन? कैसे कह दें, नेताओं में हम आदर्श नहीं पाते काश!