मन की रेत काव्य संग्रह का दो दिवसीय लोकार्पण समारोह संपन्न

कोलकाता । “मानव होना भाग्य है, कवि होना सौभाग्य“ ये उदगार विद्वान साहित्यकार प्रेमशंकर त्रिपाठी