नयी दिल्ली : न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट में मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के चौंकाने वाले खुलासों के बीच अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने कहा कि मनोरंजन उद्योग में हमेशा एक पितृसत्तात्मक व्यवस्था रही है जिसमें अगर कोई महिला बोलती है तो उसे मुसीबत पैदा करने वाली कहा जाता है।
स्वरा इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करने वाली, हिंदी फिल्म उद्योग की पहली कलाकार हैं। उन्होंने इसे केरल का ‘मीटू’ अभियान बताया और न्यायमूर्ति हेमा समिति की 233 पृष्ठों की रिपोर्ट पढ़ने के बाद इंस्टाग्राम पर एक नोट लिखा।
उन्होंने कहा, ”क्या भारत में किसी अन्य भाषा का फिल्म उद्योग ऐसी चीजों के बारे में बात कर रहा है? जब तक हम उन कड़वी सच्चाइयों का सामना नहीं करते हैं जिनके बारे में हम सभी जानते हैं, तब तक कमजोर वर्ग सत्ता के मौजूदा दुरुपयोग का खमियाजा भुगतते रहेंगे…।”
अभिनेत्री ने कहा, ”समिति की रिपोर्ट पढ़कर दिल टूट गया है। दिल इसलिए भी टूटा है क्योंकि मैं इस स्थिति से अच्छी तरह परिचित हूं। हो सकता है कि कुछ विवरण अलग हों लेकिन महिलाओं ने जो बातें कही हैं उनकी वृहद तस्वीर से मैं अच्छी तरह वाकिफ हूं।”
स्वरा ने कहा, ”फिल्म उद्योग हमेशा एक पुरुष केंद्रित उद्योग रहा है, वहां एक पितृसत्तात्मक व्यवस्था रही है।”
”तनु वेड्स मनु”, ”नील बटे सन्नाटा” और ”वीरे दी वेडिंग” जैसी फिल्मों के लिए पहचानी जाने वाली स्वरा ने कहा कि दुनियाभर के फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न की व्यापकता को चुप्पी ने ”सामान्य” बना दिया है।
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