स्वामी विवेकानंद शिकागो भाषण- भारतीय संस्कृति के परिपेक्ष्य में विषय पर संगोष्ठी संपन्न भारत सभी धर्मों को मानता है-प्रो शर्मा

निप्र, उज्जैन : देश की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा स्वामी विवेकानंद शिकागो भाषण भारतीय संस्कृति के परिपेक्ष्य में विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासन प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा , संगोष्ठी की अध्यक्षता कार्यकारी अध्यक्ष सुवर्णा जाधव ने की। कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के रूप में राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी एवं वक्ता के रूप में लता जोशी, डॉ. अनुसुया, डॉ. अलका नायक आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।

मुख्य अतिथि प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा जी ने कहा कि, सहिष्णुता और सार्वभौमिकता का संदेश भारत देता है। भारत सभी धर्मों को मानता है। समस्त प्रकार के धर्मों और उत्पीड़ितों को शरण देने वाला देश है। गीता के शब्दों को दोहराया और उन्होंने कहा अंततः सभी को एक ही जगह जाना है। इसीलिए कर्म अच्छे करने चाहिए।
अध्यक्षीय भाषण में सुवर्णा जाधव ने कहा कि भविष्य को देखते हुए विवेकानंद जी ने कहा -एक ऐसा धर्म होना चाहिए जिसमें अपनी विनम्रता के लिए उत्पीड़न या असहिष्णुता के लिए कोई स्थान नहीं हो जिसका पूरा परिक्षेत्र और पूरी शक्ति मानवता को अपने स्वयं के सच्चे दिव्य स्वभाव का एहसास कराने के लिए केंद्रित हो।

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने कहा विवेकानंद जी का जन्म दिवस युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्हीं की तरह अगर हम मानव सेवा कर सके तो हम धन्य हो जाऐंगे और उन्होंने अन्य अनेक विवेकानंद जी से जुड़ी घटनाओं के बारे में चर्चा की।

ब्रजबाला गुप्ता ने भारत मां पर कविता सुनाई। लता जोशी प्रदेश महाराष्ट्र संयोजक ने कहा विवेकानंद जी ने कहा कि मेरी आशा मेरा विश्वास है कि युवक भारत का पुनरुत्थान करेंगे।शांति ही एकमात्र शरण है और उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी पर कविता भी सुनाई।

डॉ. अनसूया जी छत्तीसगढ़ ने कहा कि विवेकानंद जी उपदेशक के रूप में कभी नहीं रहे पर उपदेशक के रूप में ही वे विख्यात हुए। उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा और सम्मान के बारे में कभी नहीं सोचा। एनी बेसेंट के उन शब्दों को बताया जिसमें कि उन्होंने विवेकानंद जी के भव्य व्यक्तित्व के बारे में चर्चा की थी।

डॉ. अलका नायक जी ने विवेकानंद जी के उन वाक्यों को दोहराते हुए अपना वक्तव्य दिया- “उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए” और कहा कि उनके व्यक्तित्व और शैली से प्रभावित होकर विदेशी मीडिया ने उन्हें साइक्लोनिक हिंदू कहा।

कार्यक्रम का शुभारंभ सुनीता गर्ग हरियाणा द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ। पूर्णिमा कौशिक छत्तीसगढ़ ने स्वागत भाषण दिया, प्रस्तावना डॉ. सुरेखा मंत्री ने विवेकानंद जी का जीवन परिचय देते हुए की।
कार्यक्रम का कुशलता पूर्वक संचालन डॉ. रश्मि चौबे गाजियाबाद मुख्य महासचिव महिला इकाई ने किया और आभार व्यक्त राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक ने किया।
उर्वशी प्रयागराज उपाध्याय, गरिमा गर्ग पंचकूला, डॉ. शिवा लोहारिया जयपुर आदि अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।

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