आगरा। दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल की सुंदरता और निर्माण की बारीकियों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए विशेषज्ञों की टीम विगत पन्द्रह दिन से सर्वेक्षण में जुटी हुई है। सर्वेक्षण में थ्री-डी समेत दस उच्च तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। यह सर्वेक्षण आज पूरा हो रहा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा कराये जा रहे सर्वेक्षण में तीन देशी और तीन विदेशी विशेषज्ञ शामिल हैं। उनकी सहायता के लिए एएसआई के कर्मियों को भी लगाया गया। विगत दस मार्च से शुरू हुए इस सर्वेक्षण में ताजमहल की दीवारों, मीनारों और गुंबदों की डॉक्यूमेंट्री बनाई गई है। वास्तुकला, पच्चीकारी का विस्तृत विवरण शामिल किया गया है।
इस सर्वेक्षण के उपयोग ताजमहल के संरक्षण के प्रयासों में भी किया जायेगा। आपदा या अन्य कारणों से स्मारक क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में, यह रिपोर्ट दिखाएगी कि वर्ष 2022 में स्मारक की स्थिति क्या थी। सर्वेक्षण से इसकी मरम्मत या पुनर्निर्माण में भी मदद मिलेगी। एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल का कहना है कि यह विभाग का रूटीन वर्क है। हर डेढ़-दो साल में स्मारकों का सर्वेक्षण किया जाता है।
छोटे स्मारकों में देशी विशेषज्ञों द्वारा यह कार्य किया जाता है। जबकि अधिक महत्वपूर्ण स्मारकों में जरूरत के अनुसार विदेशी विशेषज्ञों की भी मदद ली जाती है।ताजमहल के संरक्षण सहायक तनुज शर्मा ने बताया कि विशेषज्ञों द्वारा बताई जाने वाली ताजमहल की खूबियों को एएसआई की वेबसाइट पर डाल कर प्रमोशन भी किया जायेगा, जिससे अधिकाधिक पर्यटक यहां आ सकें।