नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद भारत में पहली बार आयोजित होने वाला प्रतिष्ठित ‘फीफा अंडर -17 महिला विश्व कप’ होने की उम्मीद जग गई। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने केंद्र सरकार के अनुरोध पर एआईएफएफ के पहले से 28 अगस्त को निर्धारित चुनाव की तारीख एक सप्ताह बढ़ाने की अनुमति दे दी। शीर्ष अदालत ने एआईएफएफ के मामलों का प्रबंधन करने के लिए अपने द्वारा नियुक्त प्रशासक समिति (सीओए) यह कहते हुए समाप्त कर दी कि इस खेल निकाय के दिन-प्रतिदिन का कामकाज का प्रबंधन कार्यवाहक महासचिव के नेतृत्व में द्वारा किया जाएगा। कार्यवाहक महासचिव के पदभार ग्रहण करने के साथ ही सीओए रद्द हो जाएगी।
पीठ ने कहा कि आगामी चुनाव के लिए एआईएफएफ की कार्यकारी परिषद 23 सदस्यों की होगी, 17 सदस्य निर्वाचक मंडल द्वारा और छह सदस्य प्रतिष्ठित खिलाड़ियों में से चुने जाएंगे। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि रिटर्निंग ऑफिसर – उमेश सिन्हा और तापस भट्टाचार्य – को चुनाव कराने के उद्देश्य से इस अदालत द्वारा नियुक्त रिटर्निंग ऑफिसर माना जाएगा, क्योंकि चुनाव लड़ने वाले राज्यों/केंद्र शासित संघ राज्य क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले किसी सदस्य फुटबॉल संघ ने उनके इन पदों पर बने रहने पर कोई आपत्ति नहीं थी।
पीठ ने कहा कि वह फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल फुटबॉल एसोसिएशन (फीफा) द्वारा एआईएफएफ के निलंबन को रद्द करने और भारत में प्रतिष्ठित फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप आयोजित करने और भारतीय खिलाड़ियों और टीमों को अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भाग लेने की अनुमति देने के लिए आदेश पारित कर रही है। इस बात पर गौर किया कि एआईएफएफ को एक सूचना मिली थी, जिसमें बताया गया था कि विश्व भर में फुटबॉल का आयोजन करने वाली संस्था ‘फीफा’ परिषद के ब्यूरो ने 14 अगस्त को एआईएफएफ को फीफा की सदस्यता से निलंबित करने का निर्णय लिया था।
शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान केंद्र का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील देते हुए कहा कि एआईएफएफ के प्रबंधन मामलों की प्रशासकों की समिति (सीओए) का अस्तित्व समाप्त होना चाहिए। उन्होंने यह भी प्रस्तावित किया कि निर्वाचित कार्यकारी समिति के 25 फीसदी प्रतिष्ठित खिलाड़ी होने चाहिए। मेहता ने कहा कि एआईएफएफ से मेजबानी का मौका छीन जाने का परिणाम भारत के फुटबॉल खेल जगत पर व्यापक रूप से पड़ेगा। इस हालात में हमारा कोई भी खिलाड़ी दुनिया के किसी भी हिस्से में अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल नहीं खेल सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि फीफा की एक समान नीति है। दुनिया भर में करीब 18 देश निलंबन आदेश के दायरे में है। भारत को अलग नहीं किया जा रहा है। सॉलीसीटर जनरल ने भारतीय फुटबॉल दल के पूर्व कप्तान बाईचुंग भूटिया की रविवार को शीर्ष अदालत में दायर याचिका के संबंध में कहा कि वह जो लक्ष्य बना रहे हैं, केंद्र सरकार उनके लिए उससे कहीं अधिक बड़ी भूमिका पर विचार कर रही है, क्योंकि फुटबॉल के लिए भूटिया क्रिकेट के लिए सचिन तेंदुलकर की तरह है।
भूटिया ने सीओए की ओर से तैयार एआईएफएफ संविधान के मसौदे को अपनाने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत में एक हस्तक्षेप याचिका दायर कर की है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि यह एआईएफएफ का संविधान मसौदा पारदर्शिता के साथ पूर्व खिलाड़ियों के कल्याण और भागीदारी को प्राथमिकता देता है और बढ़ावा देता है। शीर्ष अदालत ने संविधान के इसी मसौदे के अनुसार चुनाव कराने की अनुमति दी है।