कोलकाता, 08 नवंबर। पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की परीक्षा प्रणाली को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से कई कड़े कदम उठाए हैं। अब परीक्षाओं में किसी प्रकार की गड़बड़ी या धोखाधड़ी की संभावनाओं को समाप्त करने के लिए मेडिकल परीक्षाओं का लाइव स्ट्रीमिंग किया जाएगा। पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विश्वविद्यालय ने इस नई व्यवस्था को लागू करने का निर्णय लिया है, जिससे परीक्षा के समय विश्वविद्यालय के अधिकारी सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में परीक्षा देख सकेंगे।
पिछले महीने 21 अक्टूबर को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में परीक्षा में गड़बड़ी के कई मामले सामने आए थे। मुख्यमंत्री ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग रोकने के निर्देश दिए थे और कहा था कि अब परीक्षा के दौरान किसी को “गलत हरकत” करने का मौका नहीं दिया जाएगा।
इसी के तहत अब परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे और पूरी परीक्षा को रिकॉर्ड किया जाएगा, जिसे एक साल तक विश्वविद्यालय में सुरक्षित रखा जाएगा।
सभी मेडिकल कॉलेजों में परीक्षा के दौरान सीसीटीवी कैमरे लगे रहेंगे और सभी रिकॉर्डिंग स्वास्थ्य विश्वविद्यालय को भेजी जाएगी। परीक्षा समाप्ति के तीन दिनों के भीतर संबंधित कॉलेजों को फुटेज भेजना अनिवार्य होगा, अन्यथा उस कॉलेज की परीक्षा परिणाम की घोषणा को रोक दिया जाएगा।
परीक्षा केंद्रों में परीक्षार्थियों की हर गतिविधि पर पैनी नजर रखने के लिए सुरक्षा के कई इंतजाम किए गए हैं। परीक्षा के दौरान किसी भी परीक्षार्थी को अनुचित साधनों का उपयोग करने से रोकने के लिए कड़े निर्देश दिए गए हैं। यहां तक कि परीक्षार्थियों को परीक्षा के दौरान शौचालय का उपयोग करने पर भी सख्त निगरानी में रखा जाएगा, ताकि शौचालय का गलत इस्तेमाल न हो सके।
प्रश्नपत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी विशेष कदम उठाए गए हैं। प्रत्येक परीक्षा से एक दिन पहले प्रश्नपत्र डाउनलोड किए जाएंगे, जिनकी छपाई पर केवल संबंधित अधिकारी की उपस्थिति में सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में होगी। परीक्षा के दिन प्रश्नपत्र खोलने से लेकर उनके वितरण तक सभी गतिविधियों पर भी कैमरों से नजर रखी जाएगी।
परीक्षा केंद्रों में पर्याप्त संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी, ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता को रोका जा सके। परीक्षा हॉल में प्रवेश से पहले सभी परीक्षार्थियों की कड़ी तलाशी ली जाएगी। परीक्षाओं की हर प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए परीक्षक, निरीक्षक और केंद्र प्रभारी की तैनाती पर भी सख्त निर्देश जारी किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह फैसला जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन के बाद लिया है। हाल ही में एक महिला डॉक्टर की हत्या के बाद राज्यभर में जूनियर डॉक्टरों ने बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था और सुरक्षा की मांग के साथ आंदोलन किया था।
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