मिर्जापुर के गोपाल सर के संघर्षों की कहानी, दूसरों की खातिर लुटा रहे जिंदगानी

इरादे अगर नेक हो और कुछ करने का जज्बा हो तो रास्ते निकल ही जाते हैं भले ही वो रास्ते आसान ना हो परंतु आपके हौसलों के सामने मुश्किल राह भी आसान हो जाती है और इसे ही अपने हौसलों से साबित कर रहे हैं मिर्जापुर के मझवां गाँव के दिव्यांग गोपाल खंडेलवाल सर। सीपीएमटी में चयन के बाद वर्ष 1996 में आगरा से लौटते समय लखनऊ के पास एक सड़क दुर्घटना के शिकार होने के बाद दिव्यांग हो चुके गोपाल सर् ने अपना हौसला नहीं छोड़ा और खुद भले डॉक्टर नहीं बन सके परंतु अपने बुलंद इरादों से मिर्जापुर के विकासखंड मझवां गांव के गरीब और पिछड़े बच्चों के बीच पिछले 21 वर्षों से लगातार खुले आसमान के नीचे बगीचे में धूप, बरसात और ठंड झेलते हुए भी ज्ञान की ज्योति निशुल्क जलाए जा रहे हैं। प्रतिदिन अपने गुरुकुल में 80 बच्चों तक को पढ़ाते हैं और आज तक हजारों बच्चों को पढ़ा चुके हैं इनके पढ़ाए कुछ बच्चे अच्छे-अच्छे जगह स्थापित हो चुके हैं कुछ डॉक्टर तो कुछ इंजीनियर भी बन चुके है।

इन पर बन चुकी है डॉक्युमेंट्री फिल्म
बॉलीवुड कलाकार विवेक ओबेरॉय, अनुष्का शर्मा और वरुण धवन द्वारा इन पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई जा चुकी है जो कि 23 सितंबर 2018 को प्रसारित हुआ था इसके बाद मुंबई के गोरेगांव में आयोजित एक कार्यक्रम में इन्हें सम्मानित भी किया गया था तथा विवेक ओबरॉय द्वारा ही इन्हें एक इलेक्ट्रॉनिक व्हीलचेयर प्रदान की गई थी, परन्तु दुबारा कोई सहायता नही की गई।

असहाय लोगों की करते हैं सेवा
फेसबुक मित्रों तथा इनके परिचितों द्वारा किए गए सहायता द्वारा ही गोपाल सर् अपनी बीमारी और रोजमर्रा की खर्चों समेत बच्चों की निशुल्क शिक्षा को किसी तरह चला रहे हैं, इसके बावजूद भी गांव के गरीब दुखी पीड़ितों को भी अपनी ओर से सहायता करते रहते हैं भले ही खुद फांकाकशी के शिकार हो जाये। इन्हें बेडशोल की भयानक समस्या है और बेहतर इलाज की भी जरूरत है परंतु मजबूर है आर्थिक कारणों से, इसके लिए वे प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से ट्वीट करके गुहार भी लगा चुके हैं परंतु अभी तक सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं मिल पाई है। आज जरूरत है इन्हें सरकारी सहायता के साथ-साथ लोगों के सहायता की भी जिससे कि गांव के असहाय बच्चों के बीच आगे भी इनके गुरुकुल में ज्ञान की ज्योति इसी तरह से लगातार जलती रहे।

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