अशोक वर्मा “हमदर्द” की कहानी : कुछ तो मजबूरियां रही होंगी उनकी…

अशोक वर्मा “हमदर्द”, कोलकाता। रवि और नेहा की प्रेम कहानी किसी परीकथा से कम नहीं थी। रवि एक छोटे कस्बे का साधारण युवक था, लेकिन उसका दिल बड़ा और ख्वाब उससे भी बड़े थे। दूसरी ओर नेहा, शहर की चकाचौंध में पली-बढ़ी एक सुंदर और स्वतंत्र सोच वाली लड़की थी। दोनों की मुलाकात कॉलेज में हुई थी, जहाँ रवि अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहा था, और नेहा अपनी मासूमियत और जिंदादिली से सबका दिल जीत रही थी।

रवि और नेहा की मुलाकात एक डिबेट प्रतियोगिता में हुई थी। रवि के तर्कों की सादगी और नेहा के विचारों की गहराई ने उन्हें एक-दूसरे के करीब ला दिया। धीरे-धीरे उनकी दोस्ती ने प्यार का रूप ले लिया। रवि ने नेहा के लिए कविताएं लिखनी शुरू कर दी और नेहा ने रवि के सपनों में अपना भविष्य देखना शुरू कर दिया। दोनों ने अपने प्यार की कसम खाई थी कि हर मुश्किल को साथ मिलकर पार करेंगे।

लेकिन जिंदगी हमेशा आसान नहीं होती। नेहा के परिवार वाले उसकी शादी एक बड़े बिजनेसमैन के बेटे से तय कर चुके थे। नेहा ने अपने पिता को समझाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने उसकी एक न सुनी। “तुम्हारे सपनों और ख्वाहिशों की जगह हमारे परिवार की इज्जत ज्यादा मायने रखती है” उसके पिता ने कड़क स्वर में कहा। नेहा के पास रवि को छोड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा।

उसने रवि से मिलकर सचाई बताई। “रवि, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं, लेकिन मेरे परिवार की मजबूरी के आगे मैं कुछ नहीं कर सकती।” रवि ने उसकी आँखों में आँसू देखे और उसका दिल टुकड़े-टुकड़े हो गया। लेकिन वह जानता था कि नेहा के पास कोई विकल्प नहीं था। उसने उसका फैसला समझने की कोशिश की, भले ही उसका दिल इस सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पा रहा था।

नेहा ने रवि से आखिरी बार विदा ली। “तुम्हारे बिना जीना आसान नहीं होगा, लेकिन शायद वक्त हर जख्म भर देगा,” उसने कहा। रवि कुछ नहीं बोला, बस उसे जाते हुए देखता रहा।

शादी के बाद, नेहा एक नई जिंदगी शुरू करने की कोशिश में लग गई। लेकिन उसका दिल हमेशा रवि के पास ही था। उसने कई बार रवि को चिट्ठी लिखने की कोशिश की, लेकिन कभी भेजने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। दूसरी ओर, रवि ने अपने दर्द को अपनी प्रेरणा बना लिया। उसने नेहा की यादों को अपनी लेखनी का आधार बनाया और एक प्रसिद्ध लेखक बन गया।

सालों बाद, नेहा और रवि की मुलाकात एक साहित्य सम्मेलन में हुई। नेहा अब दो बच्चों की माँ थी और रवि अपनी किताबों के लिए मशहूर। दोनों ने एक-दूसरे को देखा, और समय मानो ठहर सा गया।

“कैसे हो, रवि?” नेहा ने धीरे से पूछा।
“ठीक हूं, नेहा और तुम?” रवि ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, लेकिन उसकी आँखों में छुपे दर्द को नेहा भांप गई।

दोनों ने अपने-अपने रास्तों को चुनने की मजबूरी को समझा, लेकिन उनके दिल अभी भी एक-दूसरे के लिए धड़कते थे। नेहा ने रवि से माफी मांगी और रवि ने उसे माफ कर दिया।

उनकी कहानी अधूरी थी, लेकिन उनके दिलों में प्यार आज भी जिंदा था। शायद यही जिंदगी का सच था—कुछ रिश्ते कभी खत्म नहीं होते, भले ही उनकी कहानी अधूरी रह जाए। नेहा और रवि की उस मुलाकात ने उनके भीतर सोई पुरानी यादों को फिर से जगा दिया। नेहा अपने परिवार के साथ सम्मेलन से जल्दी लौट आई, लेकिन उसके मन में उथल-पुथल मची रही। उसने रवि की किताबें पहले भी पढ़ी थीं, लेकिन अब उसे एहसास हुआ कि उन कहानियों में कहीं न कहीं उनकी अधूरी प्रेम कहानी का दर्द छुपा था।

उधर, रवि ने नेहा से मिलने के बाद खुद को संभालने की कोशिश की, लेकिन उसकी लेखनी थम गई। उसने महसूस किया कि नेहा को भुलाना अब भी उसके लिए असंभव था। उसने अपने अतीत से भागने के बजाय उसे स्वीकार करने का फैसला किया।

एक दिन रवि को नेहा की ओर से एक चिट्ठी मिली। चिट्ठी में लिखा था-
“रवि, हमारी मुलाकात ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया है। मैंने अपनी ज़िंदगी के हर पल को परिवार की खुशी में झोंक दिया, लेकिन तुम्हारे बिना मेरी अपनी खुशी अधूरी है। मैं जानती हूं कि हम दोनों अपने-अपने रास्तों पर आगे बढ़ चुके हैं, लेकिन मैं ये भी जानती हूं कि मेरे दिल का एक हिस्सा अब भी तुम्हारे साथ है। क्या हम मिल सकते हैं, सिर्फ बात करने के लिए?”

रवि ने बहुत सोच-विचार के बाद नेहा से मिलने का फैसला किया। दोनों ने एक शांत कैफे में मुलाकात की। नेहा के चेहरे पर अब भी वही मासूमियत थी, लेकिन उसकी आँखों में जीवन के संघर्षों की परछाई साफ झलक रही थी।

“नेहा, तुमने मुझे क्यों बुलाया?” रवि ने सीधे सवाल किया।
“रवि, मैं जानती हूं कि हमारे बीच कुछ नहीं हो सकता। मैं अपनी जिम्मेदारियों को छोड़ नहीं सकती, और तुम अपनी जिंदगी में बहुत आगे बढ़ चुके हो। लेकिन मैं सिर्फ ये कहना चाहती थी कि मैंने हमेशा तुम्हें अपने दिल में रखा है,” नेहा ने आँसुओं को छुपाने की नाकाम कोशिश की।

रवि कुछ देर चुप रहा। फिर उसने कहा, “नेहा, मैं भी तुम्हें कभी भूल नहीं पाया। लेकिन शायद हमारी किस्मत यही थी। कुछ कहानियां अधूरी रहकर ही खूबसूरत होती हैं।”

उस मुलाकात के बाद, दोनों ने एक-दूसरे को फिर से अलविदा कह दिया। लेकिन इस बार उनके बीच कोई गुस्सा या कड़वाहट नहीं थी। उनके दिलों में अब सुकून था कि उन्होंने अपने दिल की बात कह दी थी।

अशोक वर्मा “हमदर्द”, लेखक

नेहा ने अपनी शादीशुदा जिंदगी को फिर से एक नई दिशा देने की ठानी। उसने अपने पति से अपने मन की बातें शेयर कीं और अपने बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताने लगी। दूसरी ओर, रवि ने अपने लेखन में और गहराई पाई। उसने अपनी नई किताब में नेहा को एक काल्पनिक किरदार के रूप में लिखा, जिसे दुनिया ने खूब सराहा।

सालों बाद, जब नेहा और रवि दोनों ही अपनी-अपनी जिंदगी में खुश थे, एक साहित्य पुरस्कार समारोह में रवि को सम्मानित किया गया। नेहा ने टीवी पर यह देखा और मुस्कुराई। वह जानती थी कि उनका प्यार अधूरा था, लेकिन वह दोनों के जीवन को एक नई दिशा देने में सक्षम हुआ था।

कभी-कभी अधूरी कहानियां भी मुकम्मल लगती हैं, क्योंकि उनका अधूरापन ही उन्हें खास बनाता है।

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