कोलकाता। राज्य में मादक पदार्थों की जांच को लेकर प्रशासन की उदासीनता पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य के गृह सचिव बीपी गोपालिका को मंगलवार को जमकर फटकार लगाई है। कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर मंगलवार को वह कोर्ट में पेश हुए। जस्टिस जयमाल्या बागची की अगुवाई वाली खंडपीठ ने सवाल पूछा कि आप पद पर बैठे हैं लेकिन मादक परीक्षण में इतनी ढिलाई क्यों बरती जा रही है। साथ ही कटाक्ष किया कि राज्य बिना ड्रग टेस्टिंग के मामलों को टालने की कोशिश कर रहा है! हाई कोर्ट ने गृह सचिव को इस संबंध में चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
बनगांव थाने की पुलिस ने 22 फरवरी 2021 को जहांगीर मंडल नाम के युवक को मादक पदार्थ तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था। आरोप है कि उसके पास से ‘मेथामफेटामाइन’ जैसा ड्रग्स मिला था। ऐसे में बरामद किए गए मादक के प्रकार का परीक्षण किया जाता है। राज्य में इस जांच के लिए कोई प्रयोगशाला नहीं है। नतीजतन, इन सभी परीक्षणों के लिए नमूने गाजियाबाद की एक प्रयोगशाला में भेजे गए थे। जहांगीर ने आरोप लगाया कि सैंपल भेजे जाने के करीब 600 दिन बीत गए, लेकिन रिपोर्ट नहीं मिली. अतः जहांगीर ने उच्च न्यायालय में जमानत के लिए आवेदन किया। कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस जयमाल्य बागची की खंडपीठ ने सोमवार को जहांगीर की अर्जी पर सुनवाई करते हुए राज्य को रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। साथ ही राज्य के गृह सचिव को भी तलब किया था।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद गोपालिका मंगलवार को हाईकोर्ट में पेश हुए। जस्टिस जयमाल्य बागची ने उनसे पूछा कि ड्रग टेस्टिंग को लेकर राज्य उदासीन क्यों है। उन्होंने कहा, ”क्या राज्य बिना मादक परीक्षण के मामलों को लटकाना चाहता है? क्या यह प्रयोग दुनिया में पहला है? सामान्य ड्रग टेस्ट को लेकर इतनी उदासीनता क्यों है?” खंडपीठ ने निर्देश दिया कि गृह सचिव जब्त की गई दवाओं का जल्द से जल्द परीक्षण करवाएं और अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंपें। अगर परीक्षण में देरी होती है तो केस में भी देरी होती है। यह जारी नहीं रह सकता।