जयंती पर विशेष : स्वतंत्रता आंदोलन की नींव रखने वाले नेता मंगल पांडे 

राजीव कुमार झा : हमारे देश में दामोदर वीर सावरकर ने ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के विरुद्ध 1857 ई. के सिपाही विद्रोह की घटना को स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत के तौर पर देखा है। मंगल पांडे को इस विद्रोह की शुरुआत का श्रेय दिया जाता है और उन्होंने बैरकपुर की छावनी में ब्रिटिश शासन के फौजी हूक्मरानों के आदेश को मानने से इंकार करके देशी सैनिकों की बगावत से तत्कालीन ब्रिटिश शासन को कड़ी चुनौती दी थी।

मंगल पांडे एक महान देशभक्त थे और उनका जन्म 19 जुलाई 1827 को वर्तमान उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा नामक गाँव में हुआ था। युवावस्था में वे ईस्ट इंडिया कंपनी की 24 नेटिव इंफेंट्री में सिपाही के तौर पर शामिल हो गये और आगे 1857 में इनफील्ड रायफल की कहानी ने उन्हें आधुनिक भारत के इतिहास का नायक बना दिया।यह रोचक इतिहास कुछ इस प्रकार है।

1857 में जब बंगाल और देश के शेष हिस्सों में ईस्ट इंडिया कंपनी के कारनामों से असंतोष फैला था तब कंपनी की और से देशी सैनिकों को ऐसी इनफील्ड रायफलें सौंपी गयीं जिनमें भरी जाने वाली गोलियों को चर्बी लगे एक पैकेट को दाँत से काट कर निकालना पड़ता था। इसी दौरान चर्बी के बारे में यह खबर फैल गयी कि इनमें गाय और सूअर की चर्बी मिली हुई है। इससे ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत हिंदू और मुसलमान सैनिक भड़क उठे।

इतिहासकारों के अनुसार मंगल पांडे के नेतृत्व में 24 बंगाल इंफैंट्री के सैनिकों ने इनफील्ड रायफल के कारतूसों के प्रयोग से जब इंकार किया तो इसके सैनिक अधिकारियों ने फौजी कानून और अनुशासन के हवाले से कार्रवाई शुरू की। इससे बंगाल में देशी सैनिकों ने विद्रोह कर दिया उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी पर धर्म भ्रष्ट करने का आरोप लगाया। मंगल पांडे इन विद्रोही देशी सैनिकों के नेता थे।

उन्हें गिरफ्तार करके मुकदमा चला कर 8 अप्रैल 1857 को फाँसी पर लटका दिया गया। इस प्रकार मंगल पांडे का नाम देश की आजादी की लिए बलिदान होने वाले ज्ञात इतिहास के अनुसार पहले स्वांतत्र्य सेनानी के रूप में शामिल हो गया। आइए आज देश के इस महान सपूत को उनके जन्मदिन पर सारे देश की तरफ से श्रद्धा सुमन अर्पित करें !

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