सरकारी अस्पताल से‌ मां के शव को कंधे पर ले जाने को मजबूर हुआ बेटा, मंत्री ने परिवार को ही ठहराया दोषी

कोलकाता/जलपाईगुड़ी। पश्चिम बंगाल के उत्तर बंगाल, जलपाईगुड़ी में एक राजकीय अस्पताल में मानवीय संवेदनाओं को झकझेरने वाली खबर आई है। यहां एक बेटे को पैसे की कमी के वजह से अपनी मां के शव को कंधे पर लेकर घर के लिए रवाना होना पड़ा है। घटना गुरुवार की है। दावा है कि मां की मौत के बाद शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस तीन हजार से कम में जाने को तैयार नहीं हुए। इतने रुपये उनके पास नहीं थे इसलिए बेटे ने अपनी मां के शव को कंधे पर ही लेकर न्यू जलपाईगुड़ी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से 30 किलोमीटर दूर क्रांति ब्लॉक के नगरडांगी इलाके के लिए रवाना हो गए थे। इस घटना को लेकर अमानवीय रुख अख्तियार करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार के परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती ने उस परिवार को ही दोषी ठहराया है जबकि अस्पताल के अधीक्षक कल्याण खां ने भी घटना में अजीबोगरीब सफाई दी है।

मृतका की पहचान 72 साल की लक्ष्मी रानी दीवान के तौर पर हुई है। वह जलपाईगुड़ी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से 30 किलोमीटर दूर क्रांति ब्लॉक की नगर डांगी इलाके की रहने वाली थी। उनके बेटे राम प्रसाद दीवान ने बताया है, “बुधवार की रात मां को अस्पताल में भर्ती किया गया था लेकिन गुरुवार को उनका निधन हो गया। शव को घर ले जाने के लिए हमने अस्पताल में मौजूद एंबुलेंस से कई बार संपर्क साधा लेकिन कोई भी तीन हजार रुपये से कम में जाने को तैयार नहीं हुआ। हमारे पास देने के लिए रुपये नहीं थे इसलिए हमने अस्पताल प्रबंधन से भी संपर्क साधने की कोशिश की लेकिन कोई मदद नहीं मिली। घंटों तक हम यहां वहां भटकते रहे। बाद में मैं और मेरे पिता दोनों मिलकर कंधे पर शव को लेकर घर के लिए रवाना हो गए।”

स्वयंसेवी संस्था ने उपलब्ध करवाया एंबुलेंस : घटना की जानकारी जलपाईगुड़ी की एक निजी संस्था ग्रीन जलपाईगुड़ी को मिली जिसके बाद उन्होंने मुफ्त में एंबुलेंस उपलब्ध करवाया। उसी एंबुलेंस से शव को घर ले जाया जा सका है।

अस्पताल अधीक्षक का गुमराह करने वाला बयान : इधर इस घटना को लेकर अस्पताल अधीक्षक कल्याण खां ने अजीबोगरीब सफाई देते हुए कहा कि परिवार को चाहिए था कि वह अस्पताल में मौजूद रोगी सहायता केंद्र से संपर्क करते। तुरंत समाधान हो जाता। हालांकि उनसे जब पूछा गया कि किसी भी रोगी की मौत के तुरंत बाद यह नियम है कि उसे शव ले जाने के लिए एंबुलेंस उपलब्ध कराया जाए। इस बारे में अस्पताल ने खुद पहल क्यों नहीं की? तो वह गोलमोल जवाब देते रहे। उन्होंने कहा कि घटना अमानवीय है। मैं मृतक परिवार से संपर्क करने की कोशिश कर रहा हूं। (24 घंटे से अधिक बीत जाने के बावजूद अभी तक नहीं की है लेकिन मीडिया के सामने कोशिश की बात कर रहे थे।)
उन्होंने कहा कि अस्पताल में मुफ्त एंबुलेंस की व्यवस्था रहती है शायद परिवार को यह जानकारी नहीं थी।

मंत्री की भी अमानवीय टिप्पणी : इस घटना को लेकर राज्य के परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती ने भी अमानवीय टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि परिवार को उचित था कि वे अस्पताल प्रबंधन से संपर्क करते। मैंने खबर ली है। अस्पताल के किसी अधिकारी से परिवार के सदस्य नहीं मिले। खुद ही शव को कंधे पर लेकर पैदल चलना शुरू कर दिया। एक निजी संस्था ने एंबुलेंस उपलब्ध कराकर पार्थिव शरीर को घर पहुंचा दिया है। गरीबों के लिए एंबुलेंस की सुविधा अस्पताल में है। इसकी देखरेख कौन करता है इसकी खोज खबर हम लोग रहे ले रहे हैं।

एंबुलेंस चालकों का है यूनियन : इधर जलपाईगुड़ी जिला एंबुलेंस संगठन के सचिव दिलीप दास ने कहा कि ऐसी कोई घटना हुई ही नहीं है। पूरी घटना उस स्वयंसेवी संगठन की बनाई हुई है जिसने मुफ्त में एंबुलेंस उपलब्ध कराया।

अस्पताल में एनजीओ का एंबुलेंस घुसने नहीं देते यूनियन के लोग : इधर ग्रीन जलपाईगुड़ी नाम की जिस स्वयंसेवी संस्था ने मुफ्त में एंबुलेंस उपलब्ध कराया है उसके सचिव अंकुर दास ने कहा कि अस्पतालों में एंबुलेंस चालकों का एक बहुत बड़ा गिरोह है जो यूनियन के रूप में लोगों को प्रताड़ित करते हैं। केंद्र और राज्य सरकार का नियम है कि सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में एंबुलेंस उपलब्ध करवाया जाएगा लेकिन किसी को मुफ्त एंबुलेंस ये देने ही नहीं देते हैं। यहां तक कि स्वयंसेवी संस्था जो मुफ्त में एंबुलेंस और चिकित्सा आदि उपलब्ध कराती है उनके वाहनों को अस्पताल में घुसने तक नहीं दिया जाता। जो घटना हुई है वह जलपाईगुड़ी के लिए शर्म की बात है। ये लोग केंद्र और राज्य सरकार की निर्देशिका की अवमानना कर रहे हैं।

भाजपा ने कहा : यह है ममता का कटमनी शासन : इधर इस घटना को लेकर भारतीय जनता पार्टी की आईटी सेल के प्रमुख और उत्तर बंगाल के प्रभारी अमित मालवीय ने वह वीडियो ट्विटर पर डाला है जिसमें बाप बेटे शव को कंधे पर लेकर पैदल चल रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि यह ममता बनर्जी के शासन का मॉडल है। जलपाईगुड़ी में एक पिता पुत्र की जोड़ी को महिला के शव को अपने कंधे पर लेकर जाने को मजबूर होना पड़ा क्योंकि एंबुलेंस ने तीन हजार रुपये से कम लेने से इनकार कर दिया।

तृणमूल के राज में कटमनी कल्चर हर स्तर पर दिमाग को सन्न करने वाला है। उल्लेखनीय है कि कई मंचों से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में बेहतर चिकित्सकीय सेवा होने का दावा किया है। वह मुख्यमंत्री होने के साथ ही राज्य की स्वास्थ्य मंत्री भी हैं लेकिन राज्य के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्थाओं की बदहाली की कलई अमूमन खुलती ही रहती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

one × two =