खड़गपुर। 28 मई को दोपहर 2 बजे के करीब मानवाधिकार और अपराध विरोधी संगठन के युवा सचिव नीलाद्रि बंदोपाध्याय का फोन आया कि हावड़ा के डोमजूर निवासी वरिष्ठ स्कूल शिक्षक शिवदास बनर्जी की हालत बहुत खराब है। मेरी नजर में जीवन का एक साफ-सुथरा और शालीन सज्जन- हावड़ा डोमजूर प्राइमरी स्कूल के पूर्व शिक्षक शिवदास बनर्जी हैं। कोलकाता के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीजी में उन्हें दिल का दौरा पड़ा है और बिना बेड मिले उन्हें भर्ती नहीं किया जा सकता और उन्हें सीने में असहनीय दर्द हो रहा है। उन्हें पहले भी तीन बार दिल का दौरा पड़ चुका है।
यह खबर सुनते ही नीलाद्रि फौरन खुद अस्पताल पहुंचे और उनके अस्पताल में दाखिले की सारी व्यवस्था की। पहले आईसीसीयू, फिर वेंटिलेशन, फिर मौत से लड़कर शिवदास बाबू आज घर लौट आए। उन्होंने एंबुलेंस के बिस्तर पर लेटे नीलाद्रि बाबू को दोनों हाथ से पकड़ लिया और फूट-फूट कर रोने लगे।
आभार व्यक्त करने के लिए उनके पास शब्द नहीं थे। एक निजी टेलीविजन चैनल कार्यकर्ता पूर्वाशा मुखर्जी ने नीलाद्रि की इन सभी कामों में मदद की। 5 जून को वह स्वस्थ होकर घर लौटे। सिर्फ कक्षा में खड़े होकर पढ़ाने से कोई आदर्श शिक्षक नहीं होता। शिक्षक वह है जिसमें त्याग और मानवता दोनों की भावना कूट-कूट कर भरी हो।