बंगाल के छोटे चाय उत्पादकों ने केवल हरी पत्तियां खरीदने के बीएलएफ के फैसले पर जतायी आपत्ति

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में छोटे चाय उत्पादकों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर पत्ती खरीद कारखानों (बीएलएफ) के केवल हरी पत्तियां खरीदने के निर्णय को ”एकतरफा व निरंकुश” बताया और इसको लेकर आपत्ति जतायी है। बीएलएफ ने खाद्य सुरक्षा नियामक और अधिकतम अवशेष स्तर (एमआरएल) मापदंडों को पूरा करने वाली केवल हरी पत्तियों खरीदने का फैयला किया है।

वेस्ट बंगाल यूनाइटेड फोरम ऑफ स्मॉल टी ग्रोअर्स एसोसिएशन और उत्तर बंगाल के अन्य निकायों ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि इस क्षेत्र में करीब 50,000 छोटे उत्पादक हैं। करीब 10 लाख लोग या तो सीधे तौर पर या अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़े हैं।

छोटे चाय उत्पादकों के संगठन (एसटीजी) ने कहा कि बीएलएफ का निर्णय ”एकतरफा और विनाशकारी है और इसका उत्तर बंगाल की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ेगा।” उत्तर बंगाल में करीब 248 पत्ती खरीद कारखाने हैं, जो एसटीजी से हरी पत्तियां लेते हैं।

उत्तर बंगाल चाय उत्पादक कल्याण संघ ने 29 मार्च को चाय बोर्ड को पत्र लिखकर कहा था कि बीएलएफ केवल वही चाय बनाएगा जो भारतीय खाद्य सुरक्षा व मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मानदंडों के अनुरूप हो, इस तथ्य की परवाह किए बिना कि हरी पत्ती किससे प्राप्त की गई हैं।

एसोसिएशन ने कहा कि बीएलएफ ने विनिर्माण प्रक्रिया के दौरान कभी भी किसी प्रकार के रसायनों का इस्तेमाल नहीं किया और हरी पत्तियां उत्तर बंगाल के विभिन्न छोटे उत्पादकों से ली गई।

चाय बोर्ड को लिखे पत्र में एसोसिएशन ने कहा, ” बीएलएफ के लिए उनके द्वारा खरीदी गई प्रत्येक खेप की गुणवत्ता की जांच करना संभव नहीं है। यह निर्णय लिया गया कि कारखाने के सदस्य केवल हरी पत्तियां ही लेंगे…”

इस बीच, विभिन्न श्रम संघ ने भी बीएलएफ के फैसले पर अपनी चिंता व्यक्त की। इससे संबंध में मुख्य सचिव और उत्तर बंगाल के अन्य जिला प्रशासन को भी पत्र लिखा है।

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