श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश)। भारत का पहला छोटा उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (एसएसएलवी) ने अलग होने के बाद दोनों उपग्रहों को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया लेकिन प्राप्त कक्षा आशा के अनुरुप छोटी है जो इसे अस्थिर बनाती है। इसरो ने इसके अपडेट बारे में कहा कि सभी चरणों का प्रदर्शन सामान्य था। दोनों उपग्रह प्रेक्षपित हो गए। तीन चरणों वाली एसएलवी डी1, पहली विकासात्मक उड़ान , 135 किलोग्राम का पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (इओएस-02) और आठ किलो 8यू क्यूबेसेट आजादीसैट को लेकर पहले लांच पेड से 0918 बजे सात घंटे की उल्टी गिनती के बाद उड़ान भरी। दोनों उपग्रह प्रक्षेपण यान से अलग हो गए और कक्षा में प्रेक्षपित हो गए जब मिशन नियंत्रण केंद्र के वैज्ञानिकों ने प्रक्षेपण यान और उपग्रहों के साथ डेटा कनेक्टिविटी खो दी।
मीडिया सेंटर में रखे विशाल स्क्रीनों में उपग्रहों के प्रेक्षपण साफ दिखाई दे रहे थे।बाद में इसरो के अध्यक्ष डॉ. सोमनाथ ने मिशन कंट्रोल सेंटर से एक संक्षिप्त संबोधन में कहा कि एसएसएलवी की पहली उड़ान पूरी हो गई है। सभी चरणों ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन किया। टर्मिनल चरण के दौरान डेटा हानि देखी गई है। इसका विश्लेषण किया जा रहा है और जल्द ही अपडेट किया जाएगा। अपडेट में इसरो ने कहा कि एसएसएलवी ने अलग होने के बाद दोनों उपग्रहों को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया।
लेकिन हासिल की गई कक्षा अपेक्षा से कम थी, जो इसे अस्थिर बनाती है। देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राओं को इन पेलोड के निर्माण के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया गया था। स्पेस किड्ज इंडिया द्वारा विकसित ग्राउंड सिस्टम का उपयोग इस उपग्रह से डेटा प्राप्त करने के लिए किया जाएगा। इसे सरकारी स्कूलों की 750 छात्राओं द्वारा बनाया गया। स्पेस किंड्ज इंडिया के अनुसार इस परियोजना के लिए पूरे भारत के 75 सरकारी स्कूलों में से प्रत्येक में 10 छात्राओं का चयन किया गया था। चयनित छात्र कक्षा आठ से 12 तक के थे।