सिंजारा 6 अगस्त को

वाराणसी। महिलाएं अपने हाथों में रचाएंगी सिंजारा में आई मेहंदी। सिंधारा दूज को शृंगार दिवस भी कहा जाता है। सिंजारा यानी सिंधारा दूज हरियाली तीज से एक दिन पहले मनाई जाती है। इस दिन बहू-बेटियों के घर सिंधारा भेजा जाता है। सुहागिनों के लिए सिंधारा दूज का खास महत्व होता है। जिसे सिंजारा या शृंगार दिवस के नाम से भी जाना जाता है। सिंजारा पर्व यानी सिंधारा दूज का दिन सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। सिंधारा में मिठाई और शृंगार का सामान दिया जाता है। यदि बेटी ससुराल में है तो ये सिंधारा उसके मायके से भेजा जाता है और अगर बहू मायके में है तो सिंधारा ससुराल से आता है। हालांकि कई जगह पर ससुराल से सिंधारा शादी केवल पहले वर्ष में दिया जाता है। सिंधारा में आई मेहंदी को महिलाएं अपने हाथों में रचाती हैं और फिर अगले दिन हरियाली तीज का व्रत रखती हैं

सिंजारा कब है? इस साल सिंजारा पर्व 6 अगस्त को है। पंचांग अनुसार ये पर्व श्रावण शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। जो इस बार 6 अगस्त को है। फिर इसके अगले दिन हरियाली तीज मनाई जाती है।

सिंजारा सामग्री : सिंजारा की सुहाग सामग्री में हरी चूड़ी, काजल, मेहंदी, नथ, बिंदी, सिंदूर, गजरा, सोने के आभूषण, मांग टीका, कमरबंद, बिछिया, पायल, झुमके, बाजूबंद, अंगूठी, कंघा आदि चीजें दी जाती हैं। तो वहीं मिठाई में घेवर, रसगुल्ला, मावे की बर्फी भेजी जाती है। इसके अलावा बहू-बेटी के लिए कपड़े भेजे जाते हैं।

सिंजारा कैसे मनाया जाता है? सिंजारा यानी सिंधारा दूज का त्योहार शृंगार दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहू बेटियों को 9-9 प्रकार के मिष्ठान और पकवान बनाकर खिलाए जाते हैं। इसके अलावा सिंजारे में मिली मेहंदी को महिलाएं अपने हाथों में रचाती हैं। सिंजारे में हरियाली तीज का व्रत रखने वाली महिला को श्रृंगार का सारा सामान दिया जाता है। कहते हैं सिंधारे में मिले कपड़ों और गहनों को पहनकर ही महिलाएं हरियाली तीज व्रत की पूजा करती हैं। कई जगह सिंधारे में आए उपहार को आपस में बांटने की परंपरा निभाई जाती है।

क्या होता है सिंजरा? हरियाली तीज के मौके पर शादीशुदा बेटी के मायके से ‘सिंधारा’ आता है। यह बेहद ही पुरानी परंपरा है जिसे आज भी पूरे रीति-रिवाज के साथ मनाया जाता है। मायके से आने वाले सिंधारे में कपड़े, घेवर मिठाई, फल और बेटी के लिए सुहाग का सामान होता है। सिंधारे के फल व मिठाई शगुन के तौर पर पड़ोसियों व रिश्तेदारों के बांटे जाते हैं। यह सिंधारा बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसके जरिए मायके से बेटी को खुशहाल जीवन का आशीर्वाद भेजा जाता है।

ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

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