कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को कहा कि उन्होंने राजभवन के सामने शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन करने के लिए कोलकाता पुलिस से मिली सशर्त अनुमति को ठुकरा दिया है। लोकसभा चुनाव के बाद राज्य के विभिन्न इलाकों से चुनाव के बाद हिंसा की खबरें सामने आने के विरोध में यह प्रदर्शन किया जाना है।
अधिकारी के अनुसार, 13 जून को उन्होंने कोलकाता पुलिस आयुक्त के कार्यालय को उसी स्थान पर धरना प्रदर्शन की अनुमति के लिए पहला मेल भेजा था, जहां सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को पिछले साल अक्टूबर में पांच दिवसीय कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति दी गई थी।
अधिकारी ने कहा, “आयुक्त कार्यालय से कोई जवाब नहीं मिलने पर मैंने 16 जून को इस संबंध में एक रिमाइंडर भेजा। 18 जून को मुझे संयुक्त पुलिस आयुक्त से कुछ अस्पष्ट प्रशासनिक कारणों से स्थल में बदलाव के साथ धरना आयोजित करने का सशर्त प्रस्ताव मिला।” उनके अनुसार, वह इस ‘सशर्त प्रस्ताव’ को अस्वीकार कर रहे हैं, क्योंकि यह पूरी तरह पक्षपातपूर्ण है।
उन्होंने कहा, “हमारे देश में दो समूहों के लोगों के लिए दो अलग-अलग नियम नहीं हो सकते। क्योंकि पुलिस ने अतीत में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को एक ही स्थान पर धरना आयोजित करने की अनुमति दी है।”
उन्होंने कहा कि वह इस मामले में उचित कानूनी मंच का रुख करेंगे। अधिकारी ने मंगलवार को भाजपा कार्यकर्ता संजय बेरा (42) की हिरासत में मौत की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच की मांग भी उठाई है। “पुलिस ने राजनीतिक झड़प के बाद चार जून को उन्हें गिरफ्तार किया था। उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
बाद में उन्हें मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। विपक्ष के नेता ने कहा, “उन्हें 11 जून को न्यायिक हिरासत में वापस भेज दिया गया। उन्हें फिर से अस्पताल भेजा गया और मंगलवार को उनकी मौत हो गई। पुलिस यह बहाना बना रही है कि गिरने से उनके सिर में चोट लग गई थी। हकिकत यह है कि हिरासत में पुलिस ने टॉर्चर करके उन्हें मौत के घाट उतारा है।”
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