कोलकाता। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूजा से पहले राज्य के विधायकों को वेतन वृद्धि की घोषणा की है। उनकी सैलरी एक झटके में 40 हजार रुपये बढ़ रही है। लेकिन भाजपा विधायक इस बढ़े हुए वेतन को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। राजभवन पहुंचे विपक्ष के नेता से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ कर दिया कि हमें अतिरिक्त भत्ता नहीं चाहिए। सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता दिया जाना जरूरी है।
जब उनसे वेतन बढ़ोतरी के बारे में पूछा गया तो साफ ने कहा, ”हम बार-बार कह रहे हैं, हमें उम्मीद है कि आशा कार्यकर्ताओं और नागरिक स्वयंसेवकों के समान काम के लिए समान वेतन नीति लागू की जानी चाहिए। सभी महिलाओं को 2000 प्रति माह बिना भेदभाव दिए जाएं। इस अतिरिक्त वेतन से उनका काम चल जाये। हमें अतिरिक्त भत्ता नहीं चाहिए।”
इसके साथ ही बांग्ला नव वर्ष पोइला बैसाख को पश्चिम बंगाल दिवस के तौर पर पालन करने का प्रस्ताव राज्य सरकार ने विधानसभा में पारित कर दिया है। इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर इतिहास को विकृत करने का आरोप लगाया है। नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि 20 जून 1947 को पूर्वी और पश्चिम बंगाल का बंटवारा हुआ था।
पूर्वी बंगाल फिलहाल बांग्लादेश है और पश्चिम बंगाल आज भारत का अभिन्न अंग है। इसमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी की भूमिका बहुत बड़ी थी। अगर वह नहीं होते तो पूरा बंगाल बांग्लादेश का हिस्सा होता और यहां का हिंदू बंगाली समुदाय कहीं और गुजर बसर करने को मजबूर होता। 20 जून की तारीख पश्चिम बंगाल के अस्तित्व के इतिहास से जुड़ी है इसलिए इसी तारीख को पश्चिम बंगाल दिवस के तौर पर पालन किया जाना चाहिए।