भगवान शिव को बहुत प्रिय है श्रावण मास

श्रावण चंद्र मास आज 04 जुलाई मंगलवार से
अधिकमास (पुरषोत्तम, मल) के कारण साल 2023 के सावन में कुल 8 सावन के सोमवार रहेंगे

वाराणसी। सनातन धर्म में श्रावण (सावन) महीने का खास महत्व है। श्रावण मास के विषय में पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री जी ने बताया कुछ शिवभक्त सौर मास (श्रावण संक्रांति) से श्रावण मास ( शिवपूजन) शुरू करेगें और कुछ शिवभक्त चंद्र मास (श्रावण कृष्ण पक्ष) से दोनों विधान उत्तम है। इस वर्ष सन् 2023 ई. श्रावण संक्रांति 16 जुलाई रविवार को है। अधिकतर शिव भक्त चंद्र मास से शुरू करते हैं और चंद्र मास श्रावण कृष्ण पक्ष प्रतिपदा 04 जुलाई मंगलवार को है इस दिन से श्रावण चन्द्र मास शुरू होगा। सावन चन्द्र मास 04 जुलाई मंगलवार से 31 अगस्त गुरूवार तक रहेंगे। यानी कि सावन का महीना इस बार 59 दिनों का रहेगा। पंचांग के अनुसार, इस बार अधिकमास के कारण सावन माह 2 महीने का पड़ रहा है। अधिकमास की शुरुआत 18 जुलाई मंगलवार से होगी और 16 अगस्त बुधवार इसका समापन होगा।

अधिक (पुरषोत्तम, मल) माह क्या होता है?
“असंक्रान्तिमासोsधिमास:”
अर्थात जिस मास में सूर्य संक्रान्ति नही होती है उस मास को अधिक मास कहा जाता है, अधिक मास में भगवान श्रीहरि की पूजा का विशेष महत्व होता है। भगवान विष्णु का एक अन्य नाम पुरषोत्तम होने के कारण अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस वर्ष अधिक मास का प्रारम्भ 18 जुलाई 2023 से तथा समाप्ति 16 अगस्त 2023 को होगी।

अधिक मास का निर्माण– हिन्दू पंचाग के अनुसार सौर-वर्ष में 365 दिन, 15 घटी, 31 पल व 30 विपल होते हैं जबकि चंद्र वर्ष में 354 दिन, 22 घटी, 1 पल व 23 विपल होते हैं। सूर्य व चंद्र दोनों वर्षों में 10 दिन, 53 घटी, 30 पल एवं 7 विपल का अंतर प्रत्येक वर्ष में रहता है। इसीलिए प्रत्येक 3 वर्ष में चंद्र-वर्ष में 1 माह जोड़ दिया जाता है। उस वर्ष में 12 के स्थान पर 13 महीने हो जाते हैं। इस बड़े हुए माह को ही अधिक मास कहते हैं। अधिकमास (पुरषोत्तम, मल) के कारण साल 2023 के सावन में कुल 8 सावन के सोमवार रहेंगे।

श्रावण चंद्र मास का सावन का पहला सोमवार : 10 जुलाई
सावन का दूसरा सोमवार : 17 जुलाई
सावन का तीसरा सोमवार : 24 जुलाई (अधिकमास)
सावन का चौथा सोमवार : 31 जुलाई (अधिकमास)
सावन का पांचवा सोमवार : 7 अगस्त (अधिकमास)
सावन का छठवां सोमवार : 14 अगस्त (अधिकमास)
सावन का सातवां सोमवार : 21 अगस्त
सावन का आठवां और अंतिम सोमवार : 28 अगस्त को है।

किसी कारण वश मंदिर में ना जा सके तो घर में ही पार्थिव शिवलिंग बनाकर शिव पूजन करें और बाद में पार्थिव शिवलिंग को जल में प्रवाहित करें। पार्थिव शिवलिंग को बनाने के लिए किसी पवित्र नदी या तालाब की मिट्टी लें, गाय का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म मिलाकर शिवलिंग बनाएं।शिवलिंग के निर्माण में इस बात का ध्यान रखें कि यह 12 अंगुल से ऊंचा नहीं होना चाहिए। पार्थिव शिवलिंग समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करता है।

भगवान शिव ने स्वयं अपने मुख से ब्रह्मा जी के मानस पुत्र सनत कुमार से कहा कि मुझे 12 महीनों में सावन विशेष प्रिय है। जब सनत कुमारों ने भगवान शिव से पूछा कि उन्हें सावन मास इतना प्रिय क्यों है तो शिव ने बताया कि देवी सती ने जब अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति के रूप में शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था में एक माह निराहार रहकर कठोर व्रत किया और शिव को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया। जिसके बाद से ही यह माह मुझे सभी मास में अत्यंत प्रिय हो गया। सावन का महीना ऐसा महीना है, जिसमें छह ऋतुओं का समावेश होता है और शिवधाम पर इसका महत्व सबसे ज्यादा होता है।

इसके अलावा मान्यता यह भी है कि सावन चतुर्मास के दिनों में आता है जब जगत के पालनहार माने जानेवाले भगवान विष्णु चार माह के लिए विश्राम पर चले जाते हैं और उनके पीछे जगत के पालन-संरक्षण का कार्य भगवान शिव और माता पार्वती संभालते हैं। क्योंकि श्रावण का मास उन्हें विशेष प्रिय होता है इसलिए इस माह की शिवरात्रि पर उनकी पूजा-अर्चना करना उन्हें जल्दी प्रसन्न करता है।

श्रावण मास में सोमवार या पूरे मास विधिपूर्वक व्रत रखने पर गंगाजल, दुध, दही, घी, शहद, फूल, शुद्ध वस्त्र, बिल्व पत्र, धूप, दीप, नैवेध, चंदन का लेप, ऋतुफल, आक धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग को अर्पित किये जाते है।

श्रावण मास मे शिवपूजन, शिवपुराण, रुद्राभिषेक, शिव कथा, शिव स्तोत्रों व “ॐ नम: शिवाय” का पाठ करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता हैं।

श्रावण मास मे शिव पूजा जो जन करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रावण मास मे शिव पूजा सभी पापों का क्षय करने वाला है।

श्रावण मास के सोमवार या पूरे मास व्रत को रखने वालों को उपवास के पूरे दिन, भगवान शिव शंकर का ध्यान करना चाहिए। प्रात: स्नान करने के बाद भस्म का तिलक कर रुद्राक्ष की माला धारण की जाती है।

अगर शिव मंदिर में पूजन, जाप करना संभव न हों, तो घर में, किसी शान्त स्थान पर जाकर पूजन, जाप किया जा सकता हैं।

इस मास के प्रत्येक मंगलवार को श्री मंगलागौरी का व्रत, पूजन इत्यादि विधिपूर्वक करने से स्त्रियों को विवाह, संतान व सौभाग्य में वृद्धि होती है।

श्रावण माह को सावन के महीने के रूप में भी जाना जाता है। इस दौरान पड़ने वाले सभी सोमवार को व्रत के लिए बहुत ही खास माना जाता है जिन्हें श्रावण सोमवार और सावन सोमवार व्रत के नाम से जाना जाता है। बहुत से भक्त श्रावण माह के पहले सोमवार से 16 सोमवार के व्रत शुरू करते है।
इस मास सेहत के अनुसार ही व्रत रखें इन दिनों में फल आदि का सेवन ज्यादा करें।
इस मास में किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए, इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं।

ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

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