वाराणसी। श्रावण मास में महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से यह तुरंत ही सिद्ध होकर फल देने लगता है। इस मंत्र का जाप कब और कैसे करें जानिए संपूर्ण विधि। आइये महामृत्युंजय मंत्र कितनी बार जपने से सिद्ध होता है, कब और कैसे जपना चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र :
‘ॐ त्र्यम्बकं स्यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥’
इस मंत्र को गायत्री मंत्र के जोड़ने से यह और भी पॉवरफुल हो जाता है। जैसे मंत्र के आगे ॐ हौं जूं स: ॐ भू: भुव: स्व: और अंत में स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ का जोड़ते हैं।
संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र :
‘ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धानात्मृत्योर्मुक्षीयमामृतात् भूर्भुव: स्व: ॐ स: जूं हौं ॐ।’
मंत्र को सिद्ध करने वाले लोग महर्षि वशिष्ठ, मार्कंडेय, शुक्राचार्य, गुरु द्रोणाचार्य, रावण महामृत्युंजय मंत्र के साधक और प्रयोगकर्ता हुए हैं।
महामृत्युंजय मंत्र और जाप विधि
भय से छुटकारा पाने के लिए 1100 मंत्र का जप किया जाता है।
रोगों से मुक्ति के लिए 11000 मंत्रों का जप किया जाता है।
पुत्र की प्राप्ति के लिए, उन्नति के लिए, अकाल मृत्यु से बचने के लिए सवा लाख की संख्या में मंत्र जप करना अनिवार्य है।
महामृत्युंजय मंत्र कब जपें :
महामृत्युंजय मंत्र का जाप सुबह और शाम दोनों समय किया जा सकता है।
यदि कोई संकट की स्थिति है तो इस मंत्र का जाप पंडित की सलाह से कभी भी किया जा सकता है।
श्रावण मास में तो हर दिन इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र के जाप की विधि जाप कैसे करें :
महामृत्युंजय का जाप विधिवत रूप से ही किया जाता है।
महामृत्युंजय का जाप करने के पूर्व संकल्प लेकर संकल्प मंत्र बोला जाता है।
संकल्प में मंत्र जप का उद्देश्य और जप संख्या भी प्रकट करना होती है।
संकल्प करना यानी हाथ में जल लेकर एक बर्तन में पानी डालना और भगवान शिव का आशीर्वाद मांगना।
मंत्र का जप करने के पहले भगवान शिव की पूजा करें।
शिवलिंग पर कच्चा दूध और बेलपत्र अर्पित करें।
भगवान शिव की 5 वस्तुओं से प्रार्थना करें जो एक दीपक, धूप, जल, बेल के पत्ते और फल हैं।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय अपना मुख उत्तर, ईशान या पूर्व दिशा की ओर ही रखें।
यदि आप शिवलिंग के पास बैठकर जाप कर रहे हैं तो जल या दूध से अभिषेक करते रहें।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए।
मंत्र जप के बाद माला को उचित जगह पर सुरक्षित रखना चाहिए।
महामृत्युंजय जाप पूजा के अंत में हवन करते हैं।
ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848
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