Shankaracharya Nischalananda will not go to Ayodhya, रतलाम: 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है, जिसे लेकर जोर-शोर से तैयारियां की जा रही हैं। इस कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार तथा अयोध्या प्रशासन दमखम से जुटा हुआ है। राम मंदिर का प्रथम तल बनकर तैयार है, जिसे सजाया-संवारा जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी को श्रीराम जन्मभूति तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में मुख्य यजमान के तौर पर आमंत्रित किया गया है।
यानी इस बात की पूरी संभावना है कि पीएम अपने हाथों से ही रामलला की प्रतिमा को गर्भ गृह में सिंहासन पर विराजमान करवाएंगे। इसे लेकर ओडिशा के जगन्नाथपुरी मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने विरोध व्यक्त किया है। उन्होंने बुधवार को रतलाम में बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि वह 22 जनवरी 2024 को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में सम्मिलित होने के लिए अयोध्या नहीं जाएंगे।
रतलाम में त्रिवेणी तट पर हिंदू जागरण सम्मेलन को संबोधित करने आए शंकराचार्य निश्चलानंद ने मीडिया से चर्चा में कहा, ‘मोदी जी लोकार्पण करेंगे, प्रतिमा का स्पर्श करेंगे तो मैं वहां तालियां बजाकर जय-जयकार करूंगा क्या? मेरे पद की भी मर्यादा है। राम मंदिर में प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों के अनुसार होनी चाहिए, ऐसे आयोजन में मैं क्यों जाऊं’। राम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से प्राप्त हुए निमंत्रण के बारे में शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, ‘मुझे जो आमंत्रण प्राप्त हुआ है उसमें लिखा है कि आप और आपके साथ सिर्फ एक व्यक्ति आयोजन में आ सकता है। इसके अतिरिक्त हमसे किसी प्रकार का अब तक संपर्क नहीं किया गया है, जिस वजह से मैं आयोजन में नहीं जाऊंगा’।
उन्होंने कहा, “राम मंदिर पर जिस प्रकार की राजनीति हो रही है, वह नहीं होनी चाहिए। इस वक़्त राजनीति में कुछ सही नहीं है। पुरी के शंकराचार्य ने धर्म स्थलों पर बनाए जा रहे कॉरिडोर की भी आलोचना की। स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि आज सभी प्रमुख धर्म स्थलों को पर्यटन स्थल बनाया जा रहा है।”
इस प्रकार इन्हें भोग-विलासता की चीजों को जोड़ा जा रहा है, जो ठीक नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि दुनिया में चाहे जिस भी धर्म के लोग हों, उन सभी के पूर्वज हिंदू थे। बता दें कि निश्चलानंद सरस्वती पुरी के पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्धन पीठ के वर्तमान 145वें जगद्गुरु शंकराचार्य हैं। स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का जन्म 1943 में बिहार के मधुबनी जिले में हुआ था। वह दरभंगा के महाराजा के राज-पंडित के पुत्र हैं।
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