शिक्षक को ज्ञान प्राप्ति के लिये निरंतर प्रयास करते रहना चाहिये- सुन्दरलाल जोशी ‘सूरज‘
नागदा। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसा शिक्षाविद् भारत की भूमि पर होना देशवासियों के लिए गर्व की बात है। शिक्षक को ज्ञान प्राप्ति के लिये निरंतर प्रयास करते रहना चाहिये तभी वह अपने छात्रों के साथ न्याय कर सकेगा। उनकी पुस्तके- द हिन्दू और भारतीय दर्शन का अध्ययन हर शिक्षक को अनिवार्य रूप से करना चाहिये। उनके दार्शनिक विचारों से पूरा विश्व प्रभावित था। उन्होने लगभग 70 पुस्तके लिखी। शिक्षक का स्थान किसी भी राष्ट्राध्यक्ष से उपर होता है। इसलिए उन्होंने अपना जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की 1962 में अनुमति दी। वे अपने शिक्षकीय जीवन में बहुत संतुष्ट थे। उक्त विचार राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा आयोजित आनलाईन कार्यक्रम में ‘सर्वपल्ली राधाकृष्णन का व्यक्ति एवं कृतित्व पर तथा शिक्षक संचेतना की प्रासंगिकता‘ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता सुन्दरलाल जोशी ‘सूरज‘ ने व्यक्त किये। उन्होने शिक्षक संचेतना के इस पुनीत कार्य की भी सराहना की।
मुख्य अतिथि शिक्षाविद् बी.के. शर्मा ने कहा कि गुरू होना भाग्य की बात है। शिक्षक वह जो व्यक्तित्व का निर्माण करे। शिक्षको को निरंतर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए जिससे वे अपने विषय में छात्रो को संतुष्ट कर सके। विशेष अतिथि स्वाति श्रीवास्तव ने कहा कि सर्वपल्ली जी का कार्य पूर्ण और पश्चिम के बीच की खाई को पाटना था। भारतीय दर्शन की उन्नत व्याख्या के कारण डॉ. राधाकृष्णन विश्व भर में लोकप्रिय हो गए। ममता श्रवण अग्रवाल ने कहा कि- ‘‘इनके शिक्षण और शिक्षाविद् गुण से, मिला इन्हे देश रत्न का मान। 1954 का वह शुभदिवस था, जब मिला भारत रत्न सम्मान।।‘‘ डॉ. प्रभु चौधरी राष्ट्रीय महासचिव ने कहा-‘‘शिक्षक उस पुलिया की भांति होता है जिसके उपर चलने वाले अपनी मंजिल प्राप्त कर देते है, परन्तु पुलिया वहीं रहती है।‘‘
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए सुवर्णा जाधव ने कहा कि शिक्षक संचेतना अपने पदाधिकारियों एवं सदस्यों को विभिन्न विषयों पर ज्ञानार्जन का अवसर प्राप्त कराती हैं। समस्त शिक्षक को डॉ राधाकृष्णन को आदर्श मानकर शिक्षा साहित्य एवं संस्कृति के लिये समर्पित होना चाहिए। कार्यक्रम के प्रारम्भ में सरस्वती वंदना डॉ. कृष्णा जोशी इन्दौर ने की। स्वागत उदबोधन शैली भागवत ने दिया। कार्यक्रम में डॉ. शहाबुद्दीन शेख पुणे, डॉ. प्रतिभा येरेकार नांदेड़, संगीता केसवानी, डॉ. भावना सांवलिया, डॉ. शहनाज शेख नांदेड, सुषमा गर्ग दिल्ली, सविता मिश्र वाराणमी, डॉ. अरूणा सराफ इन्दौर, रजनी प्रभा पाटन, प्रतिभा जैन इन्दौर, अंजना सिंह आदि ने विचार रखे। कार्यक्रम का सफल संचालन श्वेता मिश्र पुणे ने किया अंत में आभार शिक्षक संचेतना के महामंत्री प्रभु चौधरी ने माना।