नई दिल्ली। सेबी ने जब सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह 2016 से ही अडानी समूह के खिलाफ किसी भी गंभीर आरोप की जांच नहीं कर रहा है, कुछ घंटों बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए संसद को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा कि इसी को कहते हैं ‘घोड़े बेचकर सोना’। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश, जो पार्टी के संचार प्रभारी भी हैं, ने एक ट्वीट में कहा : “वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने 19 जुलाई 2021 को लोकसभा को बताया था कि सेबी अडानी समूह की जांच कर रहा है।
अब सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह अडानी पर लगे किसी भी गंभीर आरोप की जांच नहीं कर रहा है! “कितना बुरा है – संसद को गुमराह करना, क्या लाखों निवेशकों को शेल कंपनियों का उपयोग करके कथित मनी-लॉन्ड्रिंग और राउंड-ट्रिपिंग द्वारा धोखा दिया गया? या इससे भी बदतर यह कि क्या ऊपर से कोई रोकने वाला हाथ था?”
शिवसेना-यूबीटी की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने एक ट्वीट में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा : “तो, सेबी अदालत में अपना बयान देकर 2016 से अडानी कंपनियों की किसी भी जांच से इनकार करता है, क्या जूनियर वित्तमंत्री देश से झूठ बोल रहे थे? क्या 19 जुलाई 2021 को संसद में उनके द्वारा दिया गया जवाब झूठा था? इसमें पर्दा डालने की बू आ रही है, लेकिन किसके इशारे पर?”
कांग्रेस और शिवसेना-यूबीटी धड़े की यह टिप्पणी सेबी द्वारा सुप्रीम कोर्ट को सूचित किए जाने के बाद आई है कि यह आरोप कि वह 2016 से अडानी समूह की जांच कर रहा है, ‘तथ्यात्मक रूप से निराधार’ है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शीर्ष अदालत में एक प्रत्युत्तर हलफनामा पेश कर कहा : “यह आरोप कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड 2016 से अडानी की जांच कर रहा है, तथ्यात्मक रूप से निराधार है ..।”
जांच पूरी करने के लिए और छह महीने का समय मांगे जाने पर 12 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह अडानी समूह की कंपनियों पर हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट से जुड़े विवाद की जांच पूरी करने के लिए सेबी को ज्यादा से ज्यादा और तीन महीने का समय दे सकता है। 29 अप्रैल को सेबी ने हिंडनबर्ग के आरोपों की जांच पूरी करने के लिए छह महीने के विस्तार की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था।