शिक्षा के साथ जरूरी है संस्कार : लघु गुरुकुल शिक्षा संस्कार केंद्र

खड़गपुर । कहा जाता है कि शिक्षा जीवन का उपहार है और संस्कार जीवन का सार। या फिर यूं कहें कि शिक्षा व संस्कार दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं यानी एक के बिना दूसरा अधूरा है। अगर किसी ने बहुत शिक्षा हासिल किया और शिक्षा के बल पर उसने देश-दुनिया में काफी नाम भी कमाया लेकिन अगर उसमें संस्कारों की कमी है तो फिर वह शिक्षा किसी काम की नहीं! वर्तमान समय में यह महसूस किया जा रहा है कि जैसे-जैसे शिक्षित नागरिकों का प्रतिशत बढ़ रहा है, वैसे-वैसे समाज के संस्कारों में गिरावट आ रही है। हमें संस्कारों का सौंदर्य बोध होना चाहिए और बच्चे को भी इसकी जानकारी देनी चाहिए।

ये मानना है खड़गपुर के समाजसेवी संगठन और लघु गुरुकुल के संयोजक अभिमन्यु गुप्ता का। इसी को लक्ष्य बनाकर नशा मुक्त समाज बनाने को लेकर एक पहल लेकर चले हैं पिछले 8 सालो से बच्चो के बीच शिक्षा और संस्कार के साथ पाठ्य सामग्री का वितरण भी कर रहे हैं और लगभग 8000 से ज्यादा बच्चे लाभान्वित हुए हैं। नगर में कल विषेश कार्यक्रम सूची में एक और अध्याय जुड़ा 17वां लघु गुरुकुल शिक्षा संस्कार केंद्र का। शहर के मलिंचा, चूना बस्ती के पीछे रेलवे बस्ती के बीच विशेष अतिथि के रूप में डी भानु उपस्थिति थे। स्वयं सेवा दल से समाज सेवक ललित गुप्ता, शुभम बोस, शिक्षिका श्रद्धा बाजपेयी, करण गुप्ता, हरीश भासोंड़ तथा संजीव आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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