उज्जैन। संत तुलसीदास जयंती समारोह श्री राम मंदिर में समाजसेवी मुख्य वक्ता डॉ. प्रभु चौधरी ने विश्व कवि रामचरित मानस के रचयिता संत तुलसीदास जी के चित्र पर माल्यार्पण दीप दीपन एवं गायत्री यज्ञ तथा आरती की धर्म सभा उद्बोधन में बताया कि तुलसी की काव्य रचना का मूल उद्देंश्य लोकमंगल विधान है। महाकवि तुलसी ने अपनी अधिकांश रचनाओं में श्रीराम के, अनुपम गुणों का वर्णन किया है।
उनके काव्य का प्रमुख प्रतिपाद्य विषय है राम-भक्ति। राम-भक्ति को ही सिद्ध करने के लिए उन्होंने राम कथा को आधार बनाकर, अपने काव्य की रचना की है। तुलसीदास कविता को मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि उसे लोक-मंगल, लोक-हित का साधन मानते है। उनकी दृष्टि में वही काव्य श्रेष्ठ है, जिसमें समाज का हित हो।
गोस्वामी तुलसीदास जी के दोहे एवं सरल भाषा में किया गया श्री रामचरित्र मानस का अनुवास समूची मानव जाति को प्रभु श्रीराम के आदर्शो से जोड़ता है। जब भारत में इस्लाम पूरे जोरों पर था, हिंदुओं का अपने धर्म से विश्वास समाप्त हो रहा था, इस्लाम धर्म की ओर लोग अपनी इच्छा से या विवशतावश उन्मुख किये जा रहे थे, मुगलों का अत्याचार बढ़ रहा था, ईश्वर से विश्वास उठता जा रहा था।
उस समय हिन्दू धर्म के प्रति फिर से विश्वास जगाने वाले, सम्पूर्ण हिन्दू समाज की श्रीराम में आस्था पैदा करवाने वाले कवि कुल चूड़ामणि वैष्णव कुलभूषण गोस्वामी श्री तुलसीदास जी महाराज के धरा अवतरण दिवस पर सभी धर्मप्रेमी जनता को बधाई एवं शुभकामनाएं प्रदान की। इस अवसर पर समारोह में पंडित पुरुषोत्तम भट्ट सहित अनेक धर्म प्रेमी उपस्थित रहे।
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