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भवानीपुर कॉलेज लाइब्रेरी में पढी़ गईं रस्किन बांड की कहानियाँ

कोलकाता। भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज के विद्यार्थियों ने कॉलेज लाइब्रेरी के बुक रिडिंग सेशन के अंतर्गत रस्किन बांड की कहानियाँ पढ़ीं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य है विद्यार्थियों को पुस्तकें पढ़ने और लेखक के विषय में जानकारी मिले और पुस्तकों के प्रति रुचि बढ़े। कार्यक्रम का संचालन उज्जवल करमचंदानी और प्रो. सोहेल अहमद ने किया। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. वसुंधरा मिश्र और चंपा श्रीनिवासन ने किया। उज्जवल करमचंदानी ने लेखक का परिचय देते हुए कहा कि 19 मई 1934 में जन्मे रस्किन बांड अंग्रेजी भाषा के एक नब्बे वर्षीय विश्वप्रसिद्ध भारतीय लेखक हैं।

उनके पिता, ऑब्रे अलेक्जेंडर बॉन्ड भारत में तैनात रॉयल एयर फ़ोर्स (RAF) के एक अधिकारी थे। उन्होंने शिमला के बिशप कॉटन स्कूल में पढ़ाई की। उनके पहले उपन्यास, द रूम ऑन द रूफ को 1957 में जॉन लेवेलिन राइस पुरस्कार मिला। 1992 में हमारे पेड़ स्टिल ग्रो इन द डेहरा, अंग्रेजी में उनके उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बॉन्ड ने बच्चों के लिए सैकड़ों लघु कथाएँ, निबंध, उपन्यास और किताबें लिखी हैं। 1999 में पद्मश्री और 2014 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था।वह अपने दत्तक परिवार के साथ मसूरी के लंढौर में रहते हैं।

प्रातःकालीन कॉमर्स सत्र के प्रो. सोहेल अहमद ने रस्किन बांड की कहानियों के शिल्प और बुनावट पर अपने विचार व्यक्त किए और आइज आर नॉट हियर कहानी का पाठ किया। इस कहानी ने अंत तक विद्यार्थियों को बांधे रखा उसमें निहित संदेश बहुत ही सुंदर था। प्रो. सोहेल ने रस्किन बांड की रचनाधर्मिता पर विस्तार से जानकारी दी। प्रो. सुभाषिश दासगुप्ता ने रस्किन बांड की कहानी के छोटे से अंश सुनाया जिसमें प्रौढ लोगों के लिए कुछ प्रश्न उठाए गए। प्रो. रीना जोपट ने कहा कि बांड आज भी प्रासंगिक हैं। उनकी कहानियों पर फिल्म बनी है। विद्यार्थियों में कशिश साह ने रस्किन बांड की कहानी द ब्लू अमब्रेला सुनाई। गांव में रहने वालों के लिए एक नीली छतरी कितनी मूल्यवान है इस बात को दर्शाया गया है। छोटी-छोटी चीजों का कितना महत्व होता है इस पर चर्चा की। श्रेयांस ने कहानियों के प्रति अपनी रुचि के विषय में बताया।

देवांग नागर ने अपने बचपन में पढी़ गईं रस्किन बांड की विभिन्न कहानियों की खूबसूरती को बताया। उन्होंने बताया कि रस्किन बांड की कहानियों को पढ़ते समय समुद्र या उसका किनारा नहीं आता बल्कि मसूरी, देहरादून, कसौली के पहाड़ चिड़िया पेड़ पौधे झरने आदि आते हैं। लेखक के रूप में उनकी सृजनात्मकता विशिष्ट लेखन है। बांग्ला विभाग की प्रो. सम्पा सिन्हा ने कहा कि पुस्तकें हमारे विचारों को प्रेरित करती हैं। हमारी रचनात्मकता को बढ़ाती हैं।

इस अवसर पर कॉलेज के रेक्टर और डीन प्रो. दिलीप शाह ने सभी विद्यार्थियों और शिक्षकों का स्वागत किया। हमारे कॉलेज के लिए रस्किन बांड विथ बांड और कई पुस्तकों की चर्चा की। पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित किया। डीन प्रो. दिलीप ने उत्साहवर्धन किया जिसके कारण विद्यार्थियों की उपस्थिति बड़ी संख्या में हुई। प्रो. चंपा श्रीनिवासन ने कार्यक्रम के आरंभ में सभी शिक्षकों और विद्यार्थियों का स्वागत और धन्यवाद किया और कहा कि रस्किन बांड आज भी प्रासंगिक है। कहा कि बांड का साहित्य युग और समय से परे है।

अंत में डॉ. वसुंधरा मिश्र ने कहा कि लेखक और उसके लेखन को जानने से उसे पूर्णता में जानना है। लाइब्रेरी में होने वाले बुक रिडिंग सेशन के अंतर्गत हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू और गुजराती आदि सभी भाषाओं में किताबों को पढ़ने के लिए आमंत्रित किया जाता रहा है। कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ. वसुंधरा मिश्र ने।

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