नयी दिल्ली। आरएसएस के एक सहयोगी संगठन ‘समृद्धिनी न्यास’ ने गर्भवती महिलाओं के लिए ‘गर्भ संस्कार’ नाम से एक अभियान शुरू किया है। समृद्धिनी न्यास की राष्ट्रीय संगठन सचिव माधुरी मराठे ने बताया कि इस अभियान के तहत महिलाओं को गर्भ में ही बच्चों को संस्कृति और मूल्यों की शिक्षा देने को कहा जाएगा। समाचार एजेंसी के मुताबिक समृद्धि न्यास स्त्री रोग विशेषज्ञ, आयुर्वेदिक डॉक्टरों और योग प्रशिक्षकों के साथ मिलकर एक कार्यक्रम तैयार कर रहा है, जिसके तहत महिलाओं के गर्भकाल के दौरान गीता और रामायण का पाठ होगा और योग सिखाया जाएगा।
समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, इसका मकसद गर्भ के अंदर पहले रहे ‘बच्चों में सांस्कृतिक मूल्य पैदा करना है। संगठन के मुताबिक यह कार्यक्रम महिला के गर्भधारण से लेकर उसके दो साल की उम्र तक चलेगा। इसके तहत गीता के श्लोक, चौपाई याद करने पर जोर दिया। संगठन का कहना है कि गर्भ के अंदर पल रहा शिशु पांच सौ शब्द तक सीख सकता है।
संगठन ने इस अभियान के तहत जेएनयू में रविवार को एक कार्यशाला का आयोजन किया था। इसमें कई स्त्री रोग विशेषज्ञों ने भी हिस्सा लिया था। इसमें एम्स के भी कुछ स्त्री रोग विशेषज्ञ शामिल थे। समृद्धिनी न्यास राष्ट्रीय स्वयंसेविका समिति की इकाई है। राष्ट्रीय स्वयंसेविका समिति आरएसएस का महिला प्रकोष्ठ है।