वाराणसी। इस व्रत में भगवान शिव की सोमेश्वर नाम से की जाती है पूजा : रोटक व्रत श्रावण महीने की शुक्ल प्रतिपदा को रखा जाता है। नारद पुराण के अनुसार श्रवण महीने के पहले सोमवार से लेकर करीब साढ़े तीन महीने तक यह व्रत किया जाता है। इस व्रत में विशेष रूप से भगवान शिव की सोमेश्वर नाम से पूजा की जाती है।
कब रखा जाता है रोटक व्रत? श्रावण महीने की शुक्ल प्रतिपदा को रखा जाता है। यह व्रत वर्ष 2024 में 5 अगस्त को यह व्रत शुरू होगा। यह व्रत साढ़े तीन माह के बीच में पड़ने वाले आखिरी सोमवार तक (कार्तिक मास की शुक्ल चतुर्दशी तक) रखा जाएगा।
रोटक व्रत विधि : नारद पुराण के अनुसार रोटक व्रत में व्रती को प्रातः उठकर गृहकार्य, स्नान आदि करके पूजा स्थान पर शिव जी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। फूल, बिल्व पत्र, चंदन, धूप, दीप आदि से भगवान शिव की पूरे श्रद्धाभाव से पूजा करके उपवास रखना चाहिए।
इस प्रकार साढ़े तीन माह के बीच पड़ने वाले हर सोमवार को इसी विधि से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। व्रत के उद्यापन पर पुरुष पूर्णिमा के दिन पुनः शिव जी की पूजा कर बांस के पत्तों में सोना या अनाज आदि ब्राह्मणों को दान करना चाहिए।
रोटक व्रत से मिलता है मोक्ष : मान्यता के अनुसार विधि पूर्वक रोटक व्रत करने से व्यक्ति को ज्ञान, बल, बुद्ध तथा धन की प्राप्ति होती है। इसके अलावा व्यक्ति जीवन के सभी सुखों को भोग कर अंत में मोक्ष प्राप्त करता है।
ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848
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