नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी. लोकुर ने बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ दर्ज मामलों से निपटने और प्रदर्शनकारी पहलवानों के साथ किए गए बर्ताव को लेकर दिल्ली पुलिस की को आलोचना की। ‘पहलवानों का संघर्ष: संस्थानों की जवाबदेही’ विषय पर एक परिचर्चा में भाग लेते हुए जस्टिस लोकुर ने कहा कि पीड़ितों का ‘फिर से उत्पीड़न’ हुआ है, क्योंकि पहलवान अब तक न्याय का इंतज़ार कर रहे हैं। यह फिर से उत्पीड़न का एक स्पष्ट मामला है, पहलवानों ने कहा है कि वे दबाव में हैं।”
जस्टिस लोकुर ने कहा कि पहलवानों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने प्रक्रिया में देरी के लिए दिल्ली पुलिस की आलोचना की। जस्टिस लोकुर ने कहा कि कुश्ती महासंघ के पास यौन उत्पीड़न की शिकायतों से निपटने के लिए समिति नहीं है, जो कानून के ख़िलाफ है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब जनवरी में विरोध शुरू हुआ, तो ऐसा नहीं था कि उन्होंने सीधे जंतर-मंतर जाने का फ़ैसला किया था. उन्होंने शिकायतें कीं, लेकिन कुश्ती महासंघ में कोई शिकायत समिति नहीं थी।” जस्टिस लोकुर ने प्रदर्शनकारी पहलवानों को खतरे की आशंका के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, ‘‘हमने 28 मई को हुए वीभत्स दृश्य देखे…पीड़ितों को बताया जा रहा है कि वे अपराधी हैं, क्योंकि उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया।”