कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा “भारतीय ज्ञान परंपरा पर पुनश्चर्या पाठ्यक्रम” का आयोजन

कोलकाता। कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग कॉलेज(कलकत्ता विश्वविद्यालय )के अंतर्गत ऑनलाइन “भारतीय ज्ञान परंपरा पर पुनश्चर्या पाठ्यक्रम” का आयोजन किया गया। 03 दिसंबर से 16 दिसंबर तक आयोजित इस विस्तृत कार्यक्रम के संयुक्त समन्वयक प्रो राजश्री शुक्ला एवम् डॉ राम प्रवेश रजक ने अप्रतिम भूमिका निभाई।

इस पाठ्यक्रम का मूल विषय था – ‘ भारतीय ज्ञान परंपरा और बहुभाषिकता’ । 14 दिवसीय इस पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का आरंभ 03 दिसंबर से हुआ व इस पाठ्यक्रम संबद्ध कार्यक्रम का समापन 16 दिसंबर को प्रतिभागियों द्वारा विषय सापेक्ष ppt प्रदर्शनी व उत्कृष्ट प्रतिक्रियाओं के द्वारा हुआ ।

समस्त देश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के 85 प्राध्यापक इस कार्यक्रम में प्रतिभागी के रूप में शामिल रहे । समस्त भारत के विशिष्ट विद्वान प्रोफेसर प्रतिदिन इस मूल विषय से संबंधित अनेक विषयों पर निरंतर श्रेष्ठ व्याख्यान देने के साथ ही प्रतिभागियों के साथ विचार विमर्श करते रहे ।

इस पाठ्यक्रम में अपना वक्तव्य देने वाले प्रोफेसर रहे – प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित, प्रो.मनोज कुमार राय, प्रो. सूरज पालीवाल, प्रो.रजनीश शुक्ल, प्रो. राजमुनी, प्रो.राजश्री शुक्ल, प्रो.शिवशंकर मिश्र, प्रो. श्रद्धा सिंह, प्रो. अल्का पाण्डेय, प्रो. संदीप विश्वनाथराव रणभीरकर,

प्रो. शंभूनाथ, प्रो. अमरनाथ शर्मा, प्रो. पूरन चंद टंडन, प्रो. अनिल कुमार राय, प्रो. सत्यकाम, प्रो. सुजाता त्रिपाठी, प्रो. कृष्ण कुमार सिंह, प्रो.चंद्रकला पाण्डेय, प्रो.सुचरिता बंदोपाध्याय, प्रो.अल्पना मिश्र,

प्रो. दिनेश कुमार चौबे, प्रो. सुधीर शर्मा, प्रो. सुनील बाबूराव कुलकर्णी, प्रो. मनोज पाण्डेय, प्रो. जितेंद्र श्रीवास्तव, प्रो. बहादुर सिंह परमार, प्रो. शिवप्रसाद शुक्ल, प्रो. संदीप अवस्थी आदि ।

इन सुसमृद्ध विशेषज्ञों ने भारतीय ज्ञान परंपरा की अवधारणा को विभिन्न परिप्रेक्ष्यों से जोड़कर अपना वक्तव्य श्रोताओं के सम्मुख रखा।

इन विषयों में भारतीय ज्ञान परंपरा और दर्शन ,नई शिक्षा नीति , भारतीय ज्ञान परंपरा के आलोक में कबीर की वाणी, भारतीय ज्ञान परंपरा और हिंदी नाट्य भाषा, भारतीय ज्ञान परंपरा में भारतीय काव्यशास्त्र की उपादेयता, भारतीय ज्ञान परंपरा एक विहंगावलोकन, भारतीय ज्ञान परंपरा के विविध आयाम और समकालीनता,भारतीय परंपरा में बहुभाषिकता इत्यादि अनेकों विषयों पर अनवरत व्याख्यान की श्रृंखला चलती रही।

अंततः समन्वयक की भूमिका का निर्वहन कर रहे कलकत्ता विश्वविद्यालय, हिंदी विभाग के दोनों प्राध्यापकों ने पारंपरिक तौर पर सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग कॉलेज के निदेशक प्रो लक्ष्मी नारायण सत्पथी जी के कुशल निर्देशन में सम्पन्न हुए इस कार्यक्रम का समापन प्रो सत्पथी के द्वारा किया गया।

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