वाराणसी। नवरात्रि के पावन दिनों की शुरुआत हो चुकी है। नवरात्रि में हम देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए बहुत सारे स्तोत्र पढ़ते हैं, चालीसा पढ़ते हैं, साथ ही उनकी आरती भी पढ़ते हैं। वैसे तो नवरात्रि में सबसे महत्वपूर्ण होता है दुर्गा सप्तशती का पाठ। लेकिन, एक और स्तुति है जो उतनी ही ताकतवर है और स्तुति का नाम है सिद्ध कुंजिका स्तोत्र। तो चलिए जानते हैं कि सिद्ध कुंजिका स्तोत्र क्या है।
क्या है सिद्ध कुंजिका स्तोत्र?
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र श्री रुद्रयामल के गौरी तंत्र में शिव पार्वती संवाद के नाम से उद्धृत है। दुर्गा सप्तशती का पाठ कठिन है और उसमें बहुत सारे नियमों की आवश्यकता है। वहीं, ऐसे में कुंजिका स्तोत्र का पाठ सरल भी है और ज्यादा प्रभावशाली भी है। अगर आप नवरात्रि में या वैसे भी कुंजिका स्तोत्र का पाठ करते हैं तो सप्तशती के संपूर्ण पाठ का फल मिल जाता है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र अगर आप नवरात्रि में या वैसे भी पढ़ते रहें तो आपको बहुत सारी शक्तियां, ताकत आपको जीवन में देता है। इसके मंत्र अपने आप में सिद्ध किए हुए हैं, इसीलिए इनको अलग से सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं होती।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र, माँ दुर्गा को समर्पित एक अत्यंत शक्तिशाली और रहस्यमयी स्तोत्र है। इसे दुर्गा सप्तशती का मूल मंत्र भी माना जाता है। कुंजिका स्तोत्र एक अद्भुत स्तोत्र है, जिसका प्रभाव बहुत चमत्कारी माना जाता है। नवरात्रि में ही नहीं नवरात्रि के अलावा भी इसका अगर आप नियमित रूप से पाठ करते हैं तो समस्त मनोकामनाएं आपकी पूरी होती हैं। इस स्तोत्र का नियमित जाप करने से जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान होता है और व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
।।सिद्ध कुंजिका स्तोत्र।।
शिव उवाच
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजाप: भवेत्।।1।।
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।।2।।
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।।3।।
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।4।।
अथ मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।”
।।इति मंत्र:।।
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।1।।
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।।2।।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।।3।।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।।4।।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।5।।
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु।।6।।
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।7।।
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।। 8।।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।
।।इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे कुञ्जिकास्तोत्रं सम्पूर्णम्।।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का जाप किसी भी समय किया जा सकता है। लेकिन सुबह के समय इसका जाप करने से अधिक लाभ मिलता है। जाप करते समय एकांत जगह पर बैठकर माँ दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीपक जलाकर जाप करना चाहिए।
क्यों करना चाहिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ?
कुंजिका स्तोत्र का अगर कोई भी व्यक्ति नियमित रूप से पाठ करें तो उसको वाणी की और मन की शक्ति प्राप्त होती है। कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के अंदर असीम ऊर्जा का संचार होता है वह अंदरूनी रूप से मजबूत होना शुरू हो जाता है। अगर आप नियमित रूप से कुंजिका स्तोत्र का पाठ करते है तो आपको ग्रहों के प्रभाव से छुटकारा मिलता है।
जीवन में आपको धन समृद्धि मिलती है और धन संबंधी समस्याएं आपकी दूर होती हैं। साथ ही इसका पाठ करने से तंत्र मंत्र की नकारात्मक ऊर्जा का असर नहीं होता है। ऐसा भी देखा गया है कि अगर कुंडली में राहु की समस्या से परेशान है तो उसमें भी कुंजिका स्तोत्र का पाठ जरूर करें। जीवन में अगर उतार चढ़ाव बहुत है तो भी इसका पाठ करें।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कैसे करें?
1) संध्या के समय या रात के समय में अगर कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें तो ये ज्यादा उत्तम होगा।
2) इसके बाद मां दुर्गा के सामने एक घी का दीपक जलाएं।
3) इसके बाद लाल आसन पर बैठें अगर लाल वस्त्र भी धारण कर सकें तो बेहतर होगा।
4) इसके बाद देवी को प्रणाम करके संकल्प लें कि मैं कुंजिका स्तोत्र का पाठ कर रहा हूं अपनी कृपा मेरे ऊपर बनाए रखें।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के नियम : कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने वाले साधक को पवित्रता का पालन करना चाहिए। इसके अलावा प्याज, लहसुन, मांस मदिरा इत्यादि का प्रयोग न करें और ज्यादा से ज्यादा संभव हो तो सामान्य जीवन में अपनी पवित्रता बनाए रखें।
ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च कर, फॉलो करें।