कोलकाता। मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को यथावत रखने के भारतीय रिजर्व बैंक के फैसले का बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों के विशेषज्ञों ने गुरुवार को स्वागत किया। उन्होंने इस कदम को काफी सकारात्मक बताते हुए कहा कि इसका उद्देश्य प्रणाली में नकदी की अधिकता को काबू में करना है।आरबीआई ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो में लगातार 10वीं बार कोई बदलाव नहीं किया और इसे चार प्रतिशत के निचले स्तर पर बरकरार रखा। साथ ही आरबीआई ने मुद्रास्फीति की ऊंची दर के बावजूद नीतिगत मामले में उदार रुख को बरकरार रखा।
इंडियन बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी शांति लाल जैन ने कहा कि परिवर्तनीय रिवर्स रेपो दर (वीआरआरआर) और अन्य उपायों के साथ, आरबीआई ‘प्रणाली में तरलता (नकदी) को नियंत्रित’ करेगा। आईडीबीआई बैंक में उप प्रबंध निदेशक सैमुअल जोसफ ने कहा कि दरों में कोई बदलाव नहीं करना और 2022-23 में मुद्रास्फीति के 4.5 फीसदी रहने के पूर्वानुमान के साथ यह नीति बाजारों के लिए बेहद सकारात्मक है।
बंधन बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सिद्धार्थ सान्याल ने कहा कि आरबीआई ने आर्थिक सुधार का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता जताई है। आनंद राठी शेयर्स ऐंड स्टॉक ब्रोकर्स में मुख्य अर्थशास्त्री सुजान हाजरा ने कहा कि आरबीआई मुद्रास्फीति के बजाए वृद्धि को लेकर ज्यादा चिंतित है, यही वजह है कि उसने नीतिगत दरें अपरिवर्तनीय रखी हैं।