नयी दिल्ली। राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक तीन साल बाद आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता पीएम मोदी ने की। राष्ट्रीय गंगा स्वच्छता मिशन (NMGC) 2014 से अब तक हुए खर्चा का ब्यौरा प्रस्तुत किया। इसके साथ बैठक में पिछले आठ वर्षों में गंगा की स्वच्छता की प्रगति और इस पर आए खर्च व आगे की प्लानिंग पर चर्चा की गई। राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक तीन साल बाद आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता पीएम मोदी ने की।
ये बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए की गई। बैठक में शामिल होने पीएम मोदी कोलकाता जाने वाले थे। लेकिन अपनी मां के निधन के कारण वे मीटिंग में वर्चुअली शामिल हुए। बैठक में गंगा की स्वच्छता के लिए चलाए जा रहे राष्ट्रीय मिशन (NMGC) ने शुक्रवार को राष्ट्रीय गंगा परिषद के सामने खर्च का ब्यौरा रखा। जिसके मुताबिक, 2014 से अब तक केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर 13,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं।
अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक खर्च किया गया है। इसमें से अधिकांश राशि कुल 13,046.81 करोड़ रुपये एनएमसीजी ने राज्य सरकारों को स्वच्छ गंगा के लिए राज्य मिशनों (SMGC) के तहत परियोजनाओं के मद में दिए हैं। जिसमें से 4,205.41 करोड़ रुपये उत्तर प्रदेश को जारी किए गए। जो कि अन्य राज्यों को जारी की गई धनराशि की तुलना में सबसे अधिक है।
2014 में शुरू हुआ नमामि गंगे कार्यक्रम
केंद्र ने जून 2014 में 20,000 करोड़ रुपये के कुल बजटीय परिव्यय के साथ नमामि गंगे कार्यक्रम (Namami Gange) शुरू किया था। इसके साथ सरकार ने गंगा और उसकी सहायक नदियों का कायाकल्प करने के लिए 31 मार्च, 2021 तक की अवधि के लिए 2014-15 में नमामि गंगे की शुरुआत की थी। बाद में कार्यक्रम को बाद में 31 मार्च, 2026 तक और 5 वर्षों के लिए बढ़ाया गया था।