वाराणसी। भाई-बहन के प्रेम का पर्व रक्षाबंधन का इंतजार लोग बेसब्री से करते हैं। सावन मास की पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाले इस त्योहार को लेकर थोड़ा असमंजस पैदा हो गया है। कुछ लोगों का कहना है कि ये पर्व 30 अगस्त को है तो कुछ लोगों का कहना है कि ये त्योहार 31 अगस्त को मनाया जाएगा। दरअसल ये असमंजस पैदा हुआ है अधिकमास की वजह से, दरअसल इस मास के कारण सावन का महीना 59 दिनों का हो गया है।
इस बार पूर्णिमा का प्रारंभ 30 अगस्त को सुबह 10:58 मिनट से शुरू हो रहा है जो कि 31 अगस्त 2023 को सुबह 07:05 तक रहेगी लेकिन पूर्णिमा का प्रारंभ होने के साथ ही भद्रा काल भी शुरू हो जाएगा जिसमें कि राखी बांधी नहीं जाती है इसलिए दिन में ये पर्व मनाया नहीं जायेगा।
30 अगस्त को रात में बांधी जाएगी राखी : भद्रा काल का अंत 30 अगस्त को रात 9 बजे तक रहेगी इसके बाद शुभ वक्त शुरू होगा लेकिन तब तक रात हो चुकी होगी इसलिए जो लोग उदयातिथि मानते हैं वो तो रक्षाबंधन का पर्व 31 अगस्त को मनाएंगे और जो लोग इसे नहीं मानते हैं वो अपनी बहनों से राखी 30 अगस्त को रात में हीं बंधवा सकते हैं।
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त :
30 अगस्त 2023 को शुभ मुहूर्त – 09:01 PM
31 अगस्त 2023 को शुभ मुहूर्त – 07:05 AM
भद्रा काल है क्या? आपको बता दें कि सूर्य की बेटी और न्याय के देवता शनिदेव की बहन का नाम भद्रा है, जो कि अपने भाई की ही तरह क्रोधी मानी जाती है। उन्हें काल के एक अंश का वरदान मिला हुआ है। उन्हें गलत चीज बर्दाश्त नही होती है इसलिए उनके क्रोध से बचने के लिए लोग भद्रा काल में कोई भी काम नहीं करते हैं।
शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को भद्रा में राखी बांधी थी : दंतकथाओं की माने तो ऐसा माना जाता है कि भद्राकाल में ही शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को राखी बांधी थी, जिसके कारण रावण का विनाश हो गया था। इस कारण लोग भद्राकाल में राखी बांधने से मना करते हैं। तो वहीं ये भी कहा जाता है कि इस काल में शिव गुस्से में तांडव करते हैं, कोई उनके गुस्से का शिकार ना हों इसलिए लोग इस काल में शुभ काम करने से बचते हैं।
ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848