सवाल सरकार से : चुनाव समय से हो सकते हैं तो नौकरियों की परीक्षा क्यों नहीं ??

अमितेश कुमार ओझा

Question to the government: २६ फरवरी को जब मैं शाम के समय न्यूज देख रहा था तब मुझे इस बात का अनुभव हुआ कि देश में सिर्फ सही समय में राजनीति और चुनाव कराना ही हमारी सरकार और उच्च पदो में बैठे लोगों की प्राथमिकता है  क्योंकि चुनाव को लेकर देश में काम के प्रति जो तत्परता नजर आती है ऐसी तत्परता आपको किसी अन्य सरकारी विभाग में दिखाई नहीं देगी। जिस तरह देश में चुनाव सही समय में कराना हमारी सरकार की प्राथमिकता है ठीक उसी तरह देश में प्रतियोगी परीक्षा सही समय में कराना भी सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।

कर्मचारी चयन आयोग द्वारा सिर्फ नोटिस जारी करना ही पर्याप्त नहीं बल्कि उसका उचित समय में एग्जाम करवाना भी जरूरी है और इस तरह की हालत सिर्फ कर्मचारी चयन आयोग का ही नहीं बल्कि जितने भी प्रकार के भर्ती परीक्षा होती है सभी की है। चाहे वो रेलवे हो बैंक हो व चाहे जितने भी कर्मचारी चयन करने वाली संस्था हो। चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीख घोषित करने के एक दिन पहले ट्विटर पर देश के युवाओं ने एक ट्रेंड चलाया था जो कि उस दिन पूरे ट्विटर में ट्रेंडिंग में था लेकिन इस बात में किसी की भी नजर नहीं पड़ी।

लगभग १५ मिलियन ट्वीट किया गया जिसके बाद आईटी सेल द्वारा ट्वीट किए गए मैसेज को डिलीट किया गया लेकिन इस बात पर किसी भी मीडिया चैनल व नेता की की टिप्पणी सुनाई नहीं दी। रोजगार की बात करके देश के युवाओं को सिर्फ एक चुनावी लॉलीपॉप दिया जाता जो हमेशा असफल रहता है। जनवरी २०१९ के लोकसभा चुनाव के पहले रेलवे द्वारा १,३५००० वेकैंसी निकाली गई थी। २८ दिसंबर २०२० से उसकी परीक्षा संपन्न हुई मतलब एक वैकेंसी की पूरी प्रक्रिया में लगभग लगभग ३ से ४ साल का समय लगता है।

जब भी रेलवे के चेयरमैन से प्रश्न किया जाता था भर्ती परीक्षाएं को कोरोना वायरस की बाते ही अक्सर सामने आयी लेकिन ठीक इसके विपरीत सही समय में चुनाव आयोग द्वारा बिहार में चुनाव करवाने में कहीं कोई दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा। लाखों की संख्या में लोग जुटते थे एक सभा में लेकिन कहीं किसी तरह के वायरस का सामना ना ही किसी नेता को करना पड़ा और ना ही शासन के विभिन्न अंगों को । देश के युवाओं के प्रति हमारी सरकार द्वारा उचित समय में सब कुछ करवाना प्राथमिकता होनी चाहिए। ना जाने कितने युवाओं की उम्र इस परीक्षा के कारण बढ़ती जा रही ,ना जाने कितने युवाओं के सामने आत्महत्या की नौबत आ रही है ।

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